By: Vijay Nandan
नई दिल्ली: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की स्थिति बेहद नाजुक हो गई है। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद यूनुस खुद को देश का निर्णायक नेता मानने लगे थे, लेकिन यह भूल गए कि असल नियंत्रण बांग्लादेश की सेना के हाथों में है। पहले चीन और पाकिस्तान के साथ मजबूत रिश्तों की बात करने वाले यूनुस अब गंभीर अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दबाव में हैं।
सेना ने दिया अल्टीमेटम, यूनुस के इस्तीफे की अटकलें
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेश सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने मोहम्मद यूनुस को चेतावनी दी है कि दिसंबर 2025 तक आम चुनाव करवाना अनिवार्य है। इसी दबाव के चलते यूनुस इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। बढ़ते हिंदू विरोधी हमलों पर अंतरराष्ट्रीय आलोचना का भी वे सामना कर रहे हैं। इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी अपनी चिंता जता चुके हैं।

भारत ने दी आर्थिक चोट, ट्रांस-शिपमेंट सुविधा की वापसी
भारत ने बांग्लादेश को दी जा रही एक प्रमुख ट्रांस-शिपमेंट सुविधा को हाल ही में वापस ले लिया है, जिससे बांग्लादेश का नेपाल, भूटान और म्यांमार के साथ होने वाला व्यापार प्रभावित हो रहा है। यह कदम भारत की रणनीतिक योजना का हिस्सा माना जा रहा है।
चिकन नेक पर बयान देकर यूनुस ने चीन को साधा, भारत को चिढ़ाया
मोहम्मद यूनुस ने भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम “चिकन नेक” कॉरिडोर को लेकर भी विवादास्पद टिप्पणी की थी। उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लालमोनिरहाट जिले में एयरबेस बनाने का प्रस्ताव दिया था, जो भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के बेहद पास है। इसे भारत के लिए सीधा सुरक्षा खतरा माना गया।
भारत ने तेज किया कालादान प्रोजेक्ट, पूर्वोत्तर को मिलेगा नया रास्ता
भारत ने यूनुस की चीन समर्थक नीति का जवाब देते हुए कालादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट को 2025 तक पूरा करने की दिशा में कदम तेज कर दिए हैं। इस परियोजना के माध्यम से भारत अपने पूर्वोत्तर राज्यों को म्यांमार होते हुए समुद्री मार्ग से जोड़ने की तैयारी में है, जिससे चिकन नेक पर निर्भरता कम हो सके।
क्या है चिकन नेक और क्यों है यह अहम?
चिकन नेक, जिसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर भी कहते हैं, भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को देश के शेष हिस्से से जोड़ने वाला एकमात्र संकरा भू-मार्ग है। इसकी चौड़ाई महज 20 से 22 किलोमीटर है। यह भूभाग रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि यह रास्ता बाधित होता है तो पूर्वोत्तर राज्यों से संपर्क कट सकता है।
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार राजनीतिक, कूटनीतिक और रणनीतिक दबाव में है। भारत ने भी स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि उसकी सुरक्षा और रणनीतिक हितों से कोई समझौता नहीं होगा। अब देखना होगा कि यूनुस आगे क्या कदम उठाते हैं और बांग्लादेश की राजनीति किस दिशा में जाती है।