BY: MOHIT JAIN
दिल्ली हाईकोर्ट की सख्ती के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोधी एस्टेट में टाइप-VII बंगला आवंटित कर दिया गया है। यह आवंटन राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक के अधिकार के तहत हुआ, लेकिन इसे पाने के लिए केजरीवाल को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।

सितंबर 2024 में केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और अक्टूबर में वे फ्लैगस्टाफ रोड के अपने आधिकारिक निवास से बाहर आए। इसके बाद वे आप के राज्यसभा सांसद अशोक मित्तल के सरकारी बंगले में रह रहे थे। फ्लैगस्टाफ रोड वाले बंगले के नवीनीकरण में कथित अनियमितताओं को लेकर भाजपा ने आप पर “शीश महल बनाने” का आरोप लगाया, जो राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया।
क्यों बनी लंबी कानूनी लड़ाई और हाईकोर्ट की सख्ती
राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक के तौर पर उन्हें दिल्ली में सरकारी आवास का अधिकार था, लेकिन आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की देरी के कारण मामला अदालत में पहुंच गया। जुलाई 2014 की नीति के अनुसार राष्ट्रीय पार्टियों के अध्यक्षों को बंगला आवंटित किया जा सकता है, लेकिन प्रकार निर्दिष्ट नहीं था।
केजरीवाल के वकील सीनियर एडवोकेट राहुल मेहरा ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि ऐतिहासिक रूप से राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्षों को टाइप-VII बंगला मिलता रहा है और आज उन्हें टाइप-VI में नहीं रखा जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने केंद्र को चेतावनी दी कि आवंटन किसी की मनमानी पर नहीं होना चाहिए और नीति, वेटिंग लिस्ट और आवंटनों का हलफनामा मांगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आश्वासन दिया कि 10 दिनों में उचित आवास आवंटित होगा। सोमवार को यह वादा पूरा हुआ और केजरीवाल को लोधी एस्टेट में नया बंगला मिला।
राष्ट्रीय पार्टी संयोजक के अधिकार और राजनीतिक विवाद

नए बंगले का पता 95, लोधी एस्टेट है और यह टाइप-VII श्रेणी का 5 रूम वाला भव्य निवास है। इस आवंटन ने केवल केजरीवाल की व्यक्तिगत सुविधा ही नहीं, बल्कि राजनीतिक आवास नीति की पारदर्शिता को भी उजागर किया है। विपक्ष ने इसे केंद्र की “राजनीतिक बदले की भावना” कहा, जबकि भाजपा ने “विलासिता” पर सवाल उठाए। आप नेता इसे न्याय की जीत मानते हैं।
लोधी एस्टेट, दिल्ली का प्रतिष्ठित इलाका, अब अरविंद केजरीवाल का नया ठिकाना बन गया है। इस घटना से राष्ट्रीय पार्टियों के नेताओं के लिए आवास नीति में सुधार की मांग और तेज हो सकती है।
अरविंद केजरीवाल को लोधी एस्टेट में टाइप-VII बंगला मिलने से उनके राष्ट्रीय पार्टी संयोजक के अधिकार की पुष्टि हुई और लंबी कानूनी लड़ाई का अंत हुआ। यह आवंटन केवल व्यक्तिगत सुविधा नहीं, बल्कि राजनीतिक आवास नीति में पारदर्शिता का प्रतीक भी बन गया।





