केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 13 अप्रैल 2025 को मध्य प्रदेश का दौरा किया, जिसमें सहकारी क्षेत्र और डेयरी उद्योग को बढ़ाने पर विशेष ध्यान रहा। भोपाल में उन्होंने सहकारी समितियों के सम्मेलन को संबोधित किया, भोपाल सहकारी दुग्ध संघ की नई इकाई का शुभारंभ किया, और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) व मध्य प्रदेश राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन (MPSCDF) के बीच हुए समझौते के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। नीचे इस दौरे के मध्य प्रदेश पर संभावित प्रभाव और बैठकों के प्रमुख बिंदुओं का विस्तृत विश्लेषण है।
मध्य प्रदेश पर संभावित प्रभाव: गहन विश्लेषण
- डेयरी सहकारी क्षेत्र में प्रगति:
- मध्य प्रदेश प्रतिदिन लगभग 5.5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन करता है, जो इसे देश का तीसरा सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य बनाता है। लेकिन सहकारी डेयरियों की हिस्सेदारी 1% से भी कम है, और केवल 17% गांवों में दूध संग्रह की व्यवस्था है। ज्यादातर दूध असंगठित क्षेत्र या निजी डेयरियों द्वारा खरीदा जाता है, जिससे किसानों को कम आय होती है।
- NDDB और MPSCDF का समझौता अगले पांच वर्षों में सहकारी डेयरी समितियों को 6,000 से बढ़ाकर 9,000 करने और 50% गांवों में दूध उत्पादन इकाइयां स्थापित करने का लक्ष्य रखता है। इससे दूध संग्रह का दायरा 83% गांवों तक विस्तारित हो सकता है।
- प्रभाव: यह पहल असंगठित दूध विक्रेताओं को सहकारी ढांचे से जोड़ेगी, जिससे किसानों को बेहतर कीमत मिलेगी। दूध प्रसंस्करण की क्षमता 18 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़कर 30 लाख लीटर हो सकती है, जिससे मध्य प्रदेश का राष्ट्रीय दूध उत्पादन में योगदान 9% से बढ़कर 20% तक पहुंच सकता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आय, रोजगार, और डेयरी उत्पादों (जैसे दही, पनीर) का उत्पादन बढ़ेगा।
- चुनौतियाँ: प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी, निजी डेयरियों से प्रतिस्पर्धा, और उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सांची ब्रांड को मजबूत करने, नीतियों को लागू करने, और नियमित भुगतान सुनिश्चित करने की जरूरत होगी।
- सहकारी समितियों का आर्थिक विकास:
- प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (PACS) अब केवल कृषि ऋण तक सीमित नहीं रहेंगी। इन्हें 20 से अधिक क्षेत्रों में काम करने की योजना है, जैसे किफायती दवाइयां बेचना (आयुष्मान भारत के तहत), पानी का वितरण, और 300 से अधिक सरकारी योजनाओं तक पहुंच प्रदान करना।
- मध्य प्रदेश PACS के डिजिटलीकरण में सबसे आगे है। इससे पारदर्शिता बढ़ी है और ऑनलाइन ऑडिट की सुविधा मिली है। यह PACS को जिला व राज्य सहकारी बैंकों और NABARD से जोड़ता है।
- प्रभाव: PACS को पेट्रोल पंप और गैस वितरण जैसे नए क्षेत्रों में लाने से उनकी कमाई बढ़ेगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। 7,000 ग्रामीण दूध सहकारी समितियों को बढ़ाने और आधुनिक बनाने से स्थानीय स्तर पर आर्थिक अवसर बढ़ेंगे।
- चुनौतियाँ: इन योजनाओं के लिए प्रशिक्षण, धन, और बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी। स्थानीय स्तर पर कुप्रबंधन या भ्रष्टाचार प्रभाव को कम कर सकता है।
- कृषि और पशुपालन में अवसर:
- मध्य प्रदेश में कृषि, पशुपालन, और सहकारिता के क्षेत्र में ढेर सारी संभावनाएं हैं। बीज, जैविक उत्पाद, और निर्यात सहकारी समितियों के जरिए किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने की योजना है।
- केंद्र सरकार ने तीन राष्ट्रीय सहकारी समितियां बनाई हैं—निर्यात, जैविक, और बीज सहकारी। ये किसानों को उचित कीमत और वैश्विक बाजारों तक पहुंच दिलाएंगी।
- प्रभाव: जैविक खेती को बढ़ावा देने से निर्यात बढ़ेगा। छोटे किसान (2.5 एकड़ तक) बीज उत्पादन में शामिल होकर अतिरिक्त आय कमा सकेंगे।
- चुनौतियाँ: वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा, गुणवत्ता मानकों का पालन, और किसानों को प्रशिक्षित करना बड़ी चुनौतियां हैं।
- राजनीतिक और सामाजिक असर:
- यह दौरा मध्य प्रदेश में भाजपा की स्थिति को और मजबूत करता है, खासकर किसानों और ग्रामीण समुदायों के बीच। सहकारी समितियां ग्रामीण महिलाओं और छोटे किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएंगी।
- चुनौतियाँ: सहकारी समितियों में राजनीतिक दखल या अत्यधिक सरकारी नियंत्रण उनकी स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है।
- नीतिगत और संस्थागत बदलाव:
- नए नियमों को सभी राज्यों ने अपनाया है, जो PACS को बहुउद्देशीय बनाएंगे। इसमें डेयरी और मत्स्य पालन सहकारी समितियों का समावेश होगा।
- सहकारी क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए एक सहकारी विश्वविद्यालय बनाया गया है, जो मध्य प्रदेश में कुशल कर्मचारी तैयार कर सकता है।
- प्रभाव: ये बदलाव सहकारी समितियों को अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी बनाएंगे, जिससे लंबे समय तक आर्थिक स्थिरता आएगी।
- चुनौतियाँ: इन बदलावों को लागू करना राज्य सरकार की क्षमता और स्थानीय सहयोग पर निर्भर करेगा।

बैठकों के प्रमुख बिंदु
- सहकारी आंदोलन को नए नियमों और सहकारिता मंत्रालय के जरिए फिर से जीवंत किया गया।
- NDDB-MPSCDF समझौता: दूध उत्पादन को दोगुना करना, 50% गांवों में सहकारी डेयरियां शुरू करना, सांची ब्रांड को बढ़ावा देना, और नियमित भुगतान की व्यवस्था।
- PACS अब किफायती दवाइयां, पानी वितरण, और सरकारी योजनाओं जैसे 20 से अधिक कार्य करेंगी। मध्य प्रदेश PACS के डिजिटलीकरण में अग्रणी है।
- निर्यात, जैविक, और बीज सहकारी समितियों के जरिए किसानों को वैश्विक बाजारों से जोड़ना।
- मध्य प्रदेश में कृषि, पशुपालन, और सहकारिता की अपार संभावनाओं को पूरी तरह उपयोग करने की जरूरत।
- PACS के लिए हिंदी सहित 13 भाषाओं में सॉफ्टवेयर, जो बैंक खाता खोलने जैसे कार्यों को आसान बनाएगा।
भविष्य का परिदृश्य और सुझाव
- आर्थिक बदलाव: यदि NDDB-MPSCDF समझौता सफल होता है, तो मध्य प्रदेश डेयरी क्षेत्र में एक मिसाल बन सकता है। सहकारी समितियों का विस्तार और डिजिटल उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा।
- सुझाव:
- सहकारी समितियों के लिए प्रशिक्षण केंद्र शुरू करें।
- सांची ब्रांड को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रचारित करें।
- निजी डेयरियों से प्रतिस्पर्धा के लिए गुणवत्ता और कीमत पर ध्यान दें।
- ग्रामीण महिलाओं को सहकारी समितियों में नेतृत्व के लिए प्रोत्साहित करें।
- जोखिम: सरकारी देरी, धन की कमी, या राजनीतिक प्रभाव लक्ष्यों को बाधित कर सकते हैं।
निष्कर्ष
अमित शाह का दौरा सहकारी क्षेत्र और डेयरी उद्योग में नई शुरुआत का संकेत है। NDDB-MPSCDF समझौता और PACS का विस्तार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देगा, बशर्ते इसे ठीक से लागू किया जाए। यह दौरा आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से अहम है। लंबे समय तक सफलता के लिए प्रशिक्षण, गुणवत्ता, और पारदर्शिता पर ध्यान देना होगा।
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