BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर भारत द्वारा हाल ही में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद, एक बार फिर ग्वालियर एयरबेस राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य रणनीति के केंद्र में आ गया है। इस ऑपरेशन के मद्देनज़र देशभर में 20 प्रमुख एयरपोर्ट्स को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया, जिनमें ग्वालियर का एयरबेस भी शामिल है। तीन दिनों के लिए उड़ानों पर रोक लगाई गई है।
ग्वालियर एयरबेस पर फिर से हाई अलर्ट
ग्वालियर एयरपोर्ट, जो सैन्य और नागरिक दोनों तरह की उड़ानों के लिए प्रयोग होता है, फिलहाल पूरी तरह से हाई अलर्ट पर है। वायुसेना की गतिविधियों को देखते हुए यहाँ की सुरक्षा व्यवस्था और भी कड़ी कर दी गई है। यह घटनाक्रम उस ऐतिहासिक पल की याद दिलाता है जब 2019 में पुलवामा हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी और उस मिशन में ग्वालियर की भूमिका अहम रही थी।
बालाकोट एयरस्ट्राइक: जब ग्वालियर से उड़े थे मिराज-2000
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरों को निशाना बनाया था। मीडिया रिपोर्ट्स और रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस मिशन के लिए ग्वालियर एयरबेस से मिराज 2000 लड़ाकू विमान रवाना हुए थे।
इस गुप्त अभियान को ‘ऑपरेशन बंदर’ नाम दिया गया था, और यह केवल 21 मिनट में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया था। हालांकि आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी, पर विशेषज्ञों और रक्षा पत्रकारों ने ग्वालियर की रणनीतिक भूमिका पर जोर दिया था।
ग्वालियर की रणनीतिक महत्ता
ग्वालियर सिर्फ एक एयरबेस नहीं, बल्कि एक रणनीतिक रक्षा केंद्र भी है। यहाँ सीमा सुरक्षा बल (BSF) की अकादमी, वायुसेना का बेस स्टेशन, पुलिस कैंटोनमेंट, और अन्य प्रमुख सुरक्षा प्रतिष्ठान स्थित हैं। यही कारण है कि संकट की घड़ी में ग्वालियर का महत्व और भी बढ़ जाता है।
मॉक ड्रिल और युद्ध की तैयारी
देशभर में पाकिस्तान के साथ संभावित संघर्ष की स्थिति को ध्यान में रखते हुए 244 जिलों को संवेदनशील घोषित किया गया है, जिनमें ग्वालियर भी शामिल है। हाल ही में यहाँ युद्ध-स्तर की मॉक ड्रिल कराई गई ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन और सुरक्षा बलों को तैयार रखा जा सके।