उत्तराखंड के धराली में हाल ही में बादल फटने से आई विनाशकारी बाढ़ का मंजर अब सैटेलाइट तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने तबाही से पहले और बाद की तस्वीरें जारी कर इस आपदा की गंभीरता को उजागर किया है। इन तस्वीरों से साफ पता चलता है कि प्रकृति का यह प्रकोप कितना भयानक था।
सैटेलाइट तस्वीरों में बर्बादी का पैमाना
- पहली तस्वीर: 16 जून 2024 की, जब धराली और आसपास का इलाका सामान्य था।
- दूसरी तस्वीर: 7 अगस्त 2025 की, जो बाढ़ के बाद की स्थिति दिखाती है।
ISRO और NRSC (नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर) ने कार्टोसैट-2S के हाई-रिज़ॉल्यूशन डेटा का उपयोग कर यह तुलना तैयार की।
इन तस्वीरों में:
- लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्र मलबे से ढका हुआ दिख रहा है।
- कई इमारतें पानी में डूबी नजर आ रही हैं।
- नदी का रास्ता बदल गया है, जिससे बचाव दलों को मदद मिली है।
Satellite Insights Aiding Rescue & Relief Ops
— ISRO (@isro) August 7, 2025
ISRO/NRSC used Cartosat-2S data to assess the devastating Aug 5 flash flood in Dharali & Harsil, Uttarakhand.
High-res imagery reveals submerged buildings, debris spread (~20ha), & altered river paths, vital for rescue teams on… pic.twitter.com/ZK0u50NnYF
युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन
धराली में तबाही के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन चौबीसों घंटे जारी है।
- अब तक 600+ लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
- सेना के चिनूक और MI-17 हेलिकॉप्टर से लगातार बचाव कार्य चल रहा है।
- राहत सामग्री भी हवाई मार्ग से पहुंचाई जा रही है।
NDRF और SDRF की संयुक्त मोर्चेबंदी
- हर्षिल में अस्थायी हेलिपैड बनाया गया है।
- यहां से लोगों को आईटीबीपी के मातली हेलिपैड तक पहुंचाया जा रहा है।
- सिर्फ गुरुवार को ही 200 से अधिक लोगों का हवाई रेस्क्यू हुआ।
- चिनूक हेलिकॉप्टर से जनरेटर, राहत सामग्री और रेस्क्यू टीमें भेजी गईं।
अब भी लापता सैकड़ों लोग
हालात सामान्य होने में समय लगेगा क्योंकि:
- सैकड़ों लोग अब भी लापता हैं।
- कई परिवार बेघर हो गए हैं।
- स्थानीय लोग अपने प्रियजनों की तलाश में दिन-रात जुटे हैं।
धराली की यह त्रासदी एक बार फिर याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने इंसान कितना असहाय हो सकता है।