रिपोर्टर: संदीप रणपिसे
प्रमुख आयोजन और संदेश
मुंबई के चेंबूर स्थित शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम आज़मी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों के यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल होने की खुशी मनाई। इस अवसर पर हजारों शिवभक्तों ने माल्यार्पण कर महाराज को श्रद्धांजलि दी। अबू आज़मी ने कहा कि महाराज न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे भारत के गौरव हैं, और यह सम्मान दुनिया भर में उनके शौर्य और दृष्टि का प्रतीक है।
12 किले अब यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स हैं
हाल ही में यूनेस्को ने “Maratha Military Landscapes of India” नामक सूची में महाराज से जुड़े 12 किलों का समावेश किया है—जिसमें से 11 महाराष्ट्र में और 1 (जिंजी किला) तमिलनाडु में है। इनमें रायगढ़, प्रतापगड, पन्हाळा, शिवनेरी, लोहोगढ़, सालher, सिन्धुदुर्ग, सुवर्णदुर्ग, विजयोदुर्ग, खांदेरी, राजगढ़ और जिंजी शामिल हैं।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व
इन किलों को उनके अद्वितीय स्थापत्य, सैन्य रणनीति तथा मराठा साम्राज्य के नेतृत्व का प्रतीक माना गया है। यूनेस्को की मान्यता से यह स्पष्ट हो जाता है कि शिवाजी महाराज की रणनीतिक दूरदर्शिता और निर्माणशास्त्र को वैश्विक स्तर पर सम्मान मिला है।
अबू आज़मी का वक्तव्य
अबू आसिम आज़मी ने कहा:
“छत्रपति शिवाजी महाराज सबके अंतर्जात नेता थे, जिन्होंने सभी जाति और धर्म के लोगों को साथ लेकर हिंदवी स्वराज्य की नींव रखी। इनके किले उनके अद्भुत शौर्य की गाथा सुनाते हैं। यूनेस्को पंजीकरण से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उनकी वीरता का इतिहास भी विश्व स्तर पर पहुँचेगा।”
राजनीतिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं
दूसरे राजनीतिक दलों ने भी इस ऐतिहासिक उपलब्धि का स्वागत किया:
- भाजपा ने इसे मराठी गौरव और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने वाला क्षण माना।
- शिवसेना, NCP जैसे दलों ने भी इस प्रशंसा में हिस्सा लिया।
- वहीं आलोचकों ने आलोचना करते हुए कहा कि यह सांस्कृतिक उत्सव शासन की आलोचनात्मक मुद्दों जैसे बेरोज़गारी और कृषि संकट को ढक सकता है।
यूनेस्को दर्जा—पर्यटन एवं विरासत के लिए युगांतकारी
- इस मान्यता से पर्यटन क्षेत्र में वृद्धि की उम्मीद है।
- स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार अवसर एवं सांस्कृतिक संरक्षण के अवसर खुलेंगे।
- यह भारत में UNESCO सूची में कुल 44वें स्थान के रूप में दर्ज हुआ है।





