बचपन और शुरुआती जीवन
मिथुन चक्रवर्ती का असली नाम गौरांग चक्रवर्ती था। उनका जन्म 16 जून 1950 को कोलकाता में हुआ था। स्कूल की पढ़ाई ओरिएंटल सेमिनरी स्कूल से करने के बाद उन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज में दाखिला लिया। यहीं से उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई।
नक्सल मूवमेंट में एंट्री
1968 में जब बंगाल में नक्सल मूवमेंट पूरे जोर पर था, गौरांग (मिथुन) भी इससे प्रभावित हो गए।
कुछ खास बातें:
- स्कॉटिश चर्च कॉलेज में लोकप्रिय होने के कारण नक्सली लीडर्स की नजर उन पर पड़ी।
- धीरे-धीरे वे नक्सल लीडर चारु मजूमदार के करीबी बन गए।
- पुलिस से लगातार टकराव और खतरे के चलते परिवार ने मिथुन से बंगाल छोड़ने की गुजारिश की।
मुंबई का संघर्ष
- 1969 में वे मुंबई पहुंचे।
- शुरुआती समय में रेलवे प्लेटफॉर्म और पार्कों में रातें बिताईं।
- ट्रेन में कॉस्मेटिक्स और दवाइयां बेचकर गुजारा किया।
- एफटीआईआई (पुणे फिल्म संस्थान) में दाखिला लिया और यहां से एक्टिंग की ट्रेनिंग ली।
नाम बदलकर बने ‘मिथुन’
उनकी राशि ‘मिथुन’ थी, इसी कारण ज्योतिषी की सलाह पर उनका नाम गौरांग से बदलकर मिथुन चक्रवर्ती रखा गया।
बॉलीवुड में संघर्ष और ब्रेक
- शुरुआत में छोटे रोल मिले, लेकिन 1976 में मृणाल सेन की फिल्म ‘मृगया’ से बड़ा ब्रेक मिला।
- ‘मृगया’ के लिए मिथुन को नेशनल अवार्ड मिला।
सुपरस्टार बनने की कहानी
- 1979 में फिल्म ‘सुरक्षा’ से मिथुन की किस्मत पलटी।
- इसके बाद ‘डिस्को डांसर’ (1982) ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई।
- ‘आई एम ए डिस्को डांसर’ गाना सोवियत यूनियन (रूस), चीन, जापान, और मिस्र में भी जबरदस्त हिट हुआ।
प्रमुख हाइलाइट्स:
- रूस में ‘जिम्मी जिम्मी’ गाना आज भी पॉपुलर है।
- जापान में ‘डिस्को डांसर’ का मंदिर है।
- चीन में कोविड लॉकडाउन के समय लोगों ने ‘जिम्मी जिम्मी’ गाकर चावल की मांग की थी।
निजी जीवन और विवाद
- मिथुन का नाम कई अभिनेत्रियों से जुड़ा, जिनमें श्रीदेवी और योगिता बाली प्रमुख रहीं।
- योगिता बाली से उनकी शादी ने लंबे समय तक सुर्खियां बटोरीं।
- श्रीदेवी के साथ रिश्ता विवादों में रहा और अंत में टूट गया।
ऊटी में नया अध्याय
- 1994 में मिथुन मुंबई छोड़कर ऊटी शिफ्ट हो गए।
- यहां उन्होंने ‘द मोनार्क’ होटल चेन की शुरुआत की।
- उन्होंने सस्ती, तेजी से बनने वाली फिल्मों की लाइन लगा दी, जो खासकर ग्रामीण भारत में खूब चलीं।
1993-1999: सबसे ज्यादा फिल्में, सबसे ज्यादा फ्लॉप
- मिथुन ने इस दौर में रिकॉर्ड 30 फिल्में फ्लॉप दीं।
- लेकिन उनकी बिजनेस स्ट्रेटेजी ऐसी थी कि प्रोड्यूसर को नुकसान नहीं होता था।
- उत्तर भारत में उनका फैनबेस इतना मजबूत था कि फ्लॉप फिल्में भी लागत निकाल लेती थीं।
राजनीति में एंट्री
राजनीतिक सफर:
- शुरुआत में यूथ कांग्रेस से जुड़े।
- बाद में नक्सल मूवमेंट का हिस्सा बने।
- फिर सीपीएम और लेफ्ट से नजदीकी रही।
- 2014 में टीएमसी से राज्यसभा सांसद बने।
- शारदा चिट फंड घोटाले में नाम आया, ईडी की पूछताछ हुई लेकिन बाद में क्लीन चिट मिली।
- 2016 में टीएमसी से दूरी बना ली और राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया।
भाजपा से जुड़ाव:
- 2021 में बीजेपी में शामिल हुए।
- बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी के स्टार प्रचारक बने।
मिथुन की खास पहचान
- डिस्को डांसर के जरिए ग्लोबल आइकन बने।
- अपने करियर में 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया।
- गरीबी से अमीरी की मिसाल बने।
- बिजनेस, बॉलीवुड और राजनीति – तीनों में सफल रहे।
निष्कर्ष
मिथुन चक्रवर्ती की कहानी सिर्फ एक अभिनेता की नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान की है जिसने जिंदगी के हर मोड़ पर संघर्ष किया, गिरा, उठा, और फिर चमका।
उनका सफर हमें सिखाता है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए। नक्सल आंदोलन से लेकर सुपरस्टारडम और फिर राजनीति तक का सफर मिथुन चक्रवर्ती की कहानी को भारतीय सिनेमा की सबसे दिलचस्प कहानियों में शामिल कर देता है।