बलूच लोग दशकों से पाकिस्तान से आजाद होने की मांग कर रहे हैं। उनका संघर्ष नया नहीं है—यह सदियों पुराना है, मुगलों और सफावियों से लेकर अंग्रेजों तक, हर शासक के खिलाफ उन्होंने विद्रोह किया। आज भी वे पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लड़ रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि 1948 में जबरन उनके भूभाग को पाकिस्तान में मिला लिया गया।
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बलूचिस्तान का इतिहास: स्वतंत्र रियासत से पाकिस्तानी कब्जे तक1. प्राचीन काल से लेकर मुगल-सफावी संघर्ष तक2. नादिर शाह और अहमद शाह अब्दाली के समय में3. अंग्रेजों का दखल और कलात का पतन4. 1947 में आजादी की घोषणा और पाकिस्तान का जबरन कब्जाआज का संघर्ष: पाकिस्तान के खिलाफ बलूच विद्रोह1. पाकिस्तानी दमन और मानवाधिकार उल्लंघन2. बलूच राष्ट्रवादी संगठन3. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियानिष्कर्ष: क्या बलूचिस्तान को आजादी मिलनी चाहिए?
लेकिन बलूच कौन हैं? क्यों वे पाकिस्तान के खिलाफ इतना जुझ रहे हैं? और क्या उनकी आजादी की मांग वाजिब है? आइए, इसके इतिहास और वर्तमान संघर्ष को समझते हैं।
बलूचिस्तान का इतिहास: स्वतंत्र रियासत से पाकिस्तानी कब्जे तक
1. प्राचीन काल से लेकर मुगल-सफावी संघर्ष तक
- बलूच मूल रूप से ईरान के उत्तरी क्षेत्रों से आए और 7वीं सदी में इस्लामिक विस्तार के बाद दक्षिण की ओर बस गए।
- 12वीं सदी तक वे छोटे-छोटे कबीलों में बंटे थे, लेकिन 1405 में मीर मिरवानी ने खानत ऑफ कलात (Kalat Confederacy) बनाकर उन्हें एकजुट किया।
- मुगलों और ईरानी सफावियों के बीच संघर्ष के दौरान बलूचों ने अपनी स्वायत्तता बनाए रखी।
2. नादिर शाह और अहमद शाह अब्दाली के समय में
- 1739 में नादिर शाह ने भारत पर हमला किया, जिसमें बलूच सैनिकों ने भी हिस्सा लिया।
- 1758 में मीर नसीर खान ने अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली के साथ कलात संधि की, जिसके तहत बलूचिस्तान को स्वायत्तता मिली।
- इस संधि को आज भी बलूच अपनी आजादी का प्रमाण मानते हैं।
3. अंग्रेजों का दखल और कलात का पतन
- 19वीं सदी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने “ग्रेट गेम” (रूस vs ब्रिटेन) के तहत बलूचिस्तान पर कब्जा शुरू किया।
- 1876 की मस्तुंग संधि के बाद कलात पर अंग्रेजों का नियंत्रण बढ़ गया, लेकिन तकनीकी रूप से वह एक स्वतंत्र रियासत बना रहा।
4. 1947 में आजादी की घोषणा और पाकिस्तान का जबरन कब्जा
- 15 अगस्त 1947 को अहमद यार खान ने स्वतंत्र बलूचिस्तान घोषित किया।
- लेकिन मार्च 1948 में मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तानी सेना भेजकर बलूचिस्तान को जबरन पाकिस्तान में मिला लिया।
आज का संघर्ष: पाकिस्तान के खिलाफ बलूच विद्रोह
1. पाकिस्तानी दमन और मानवाधिकार उल्लंघन
- पाकिस्तानी सेना बलूच राष्ट्रवादियों पर क्रूर दमन करती है।
- अनगिनत गायब होने (Enforced Disappearances) के मामले सामने आते हैं।
- बलूच महिलाएं और बच्चे भी पाकिस्तानी सेना की हिंसा का शिकार हो रहे हैं।
2. बलूच राष्ट्रवादी संगठन
- बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA)
- बलूच रिपब्लिकन आर्मी (BRA)
- बलूच लिबरेशन फ्रंट (BLF)
ये संगठन पाकिस्तानी सेना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध लड़ रहे हैं।
3. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- भारत ने कई बार बलूच मुद्दे को उठाया है।
- यूएन और मानवाधिकार संगठन पाकिस्तान की कार्रवाइयों की निंदा कर चुके हैं।
निष्कर्ष: क्या बलूचिस्तान को आजादी मिलनी चाहिए?
बलूच लोगों का इतिहास उनके स्वतंत्र अस्तित्व का गवाह है। पाकिस्तान ने उन पर जबरन कब्जा किया, और आज भी उनका दमन जारी है। अगर कश्मीर पर पाकिस्तान “आजादी” की बात करता है, तो बलूचिस्तान को भी यही अधिकार क्यों नहीं?