जब दुनिया एलन मस्क, बेजोस या अंबानी के पैसे गिनती है, तब रोथ्सचाइल्ड नाम इतिहास की धूल में दबा रह जाता है। यह कोई साधारण अमीर परिवार नहीं, बल्कि 250 साल से दुनिया की सत्ता चलाने वाला खानदान है। इनकी पहुँच युद्धों, केंद्रीय बैंकों, वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों और डिजिटल मुद्राओं तक है।
“दुनिया एक रंगमंच है, तो रोथ्सचाइल्ड उसके पर्दे के पीछे का निर्देशक!”
🧨 रोथ्सचाइल्ड vs रॉकफेलर: दो दिग्गजों की जंग
क्षेत्र | रोथ्सचाइल्ड | रॉकफेलर |
---|---|---|
ताकत | बैंकिंग, सोना, सरकारी कर्ज़ | तेल, उद्योग, मीडिया |
तरीका | छाया में रहकर नियंत्रण | खुला प्रभुत्व |
प्रभाव | IMF, विश्व बैंक, यूरोपीय बैंक | UN, बड़े एनजीओ, अमेरिकी सरकार |
दिलचस्प तथ्य:
19वीं सदी में रोथ्सचाइल्ड ने स्वेज नहर का फंड रोककर रॉकफेलर के तेल व्यापार को झटका दिया था। जवाब में रॉकफेलर ने अमेरिका का फेडरल रिज़र्व बैंक बनवाया।
🇮🇳 भारत में रोथ्सचाइल्ड का असर
⏳ इतिहास में:
- 1857 से पहले: ईस्ट इंडिया कंपनी को हथियारों के लिए कर्ज़ दिया।
- भारतीय रेलवे बनाने में पैसे की मदद की।
🚀 आज के ज़माने में:
- ब्लैकस्टोन जैसी कंपनियों के ज़रिए भारतीय रियल एस्टेट में हज़ारों करोड़ निवेश।
- बायजूस, ओला जैसी कंपनियों को फंडिंग।
- RBI के डिजिटल रुपया (e₹) पर IMF/विश्व बैंक के सुझावों से अप्रत्यक्ष प्रभाव।
“ये भारत की अर्थव्यवस्था को नदी की धारा की तरह मोड़ने की ताकत रखते हैं!”
☠️ विश्व युद्ध: दोनों तरफ़ से कमाई
चौंकाने वाली बातें:
- पहले विश्व युद्ध में जर्मनी और ब्रिटेन दोनों को पैसा उधार दिया।
- दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप के पुनर्निर्माण के लिए कर्ज़ देकर मुनाफ़ा कमाया।
- 1944 में IMF और विश्व बैंक बनाने में अहम भूमिका निभाई, ताकि डॉलर दुनिया की मुख्य मुद्रा बन जाए।
✝️ वेटिकन से टक्कर: पैसे ने धर्म को हराया!
1832 में पोप ने रोथ्सचाइल्ड से 50 मिलियन लीरा कर्ज़ लिया। बदले में:
- वेटिकन बैंक बना, जिसकी नीतियाँ रोथ्सचाइल्ड मॉडल पर आधारित थीं।
- यहूदी बस्तियों को चर्च का संरक्षण मिला।
“जब ईसाई धर्म के सिरमौर को पैसों के आगे झुकना पड़े, तो समझ लो दुनिया में बैंकर ही राज करते हैं!”
🧬 कोविड-19: महामारी या मुनाफ़े का खेल?
- फाइजर-मॉडर्ना जैसी वैक्सीन कंपनियों में रोथ्सचाइल्ड से जुड़े निवेशकों की हिस्सेदारी।
- WHO की नीतियों पर GAVI एलायंस का दबाव (जिसे रोथ्सचाइल्ड फंड करते हैं)।
- डिजिटल हेल्थ पासपोर्ट के ज़रिए लोगों के डेटा इकट्ठा करना।
सबूत: महामारी के दौरान रोथ्सचाइल्ड से जुड़े शेयरों की कीमत 300% बढ़ गई।
🌐 2030 की साजिश: डिजिटल गुलामी
रोथ्सचाइल्ड WEF (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) के “ग्रेट रीसेट” योजना में शामिल हैं, जिसके तहत:
- डिजिटल मुद्रा (CBDC): नकदी खत्म कर हर लेनदेन पर नजर।
- डिजिटल आईडी: चेहरा, उंगलियों के निशान, DNA डेटा केंद्र में जमा।
- सोशल क्रेडिट सिस्टम: चीन की तर्ज पर “अच्छे नागरिक” का स्कोर।
- कार्बन टैक्स: पर्यावरण के नाम पर जनता से अतिरिक्त कर।
“2030 तक तुम्हारा कुछ नहीं होगा… और तुम खुश रहोगे!” — WEF का विजन
👁️ इतनी दौलत, फिर भी फोर्ब्स में क्यों नहीं?
- संपत्ति 1,200+ गोपनीय ट्रस्टों में बँटी है (केमैन द्वीप, स्विट्ज़रलैंड जैसे टैक्स हेवन में)।
- रॉयटर्स, द इकोनॉमिस्ट जैसे मीडिया घरानों पर कंट्रोल से खबरें दबती हैं।
- धन “पीढ़ीगत संपत्ति” कहलाता है, जो किसी एक व्यक्ति के नाम नहीं होता।
🇵🇰 पाकिस्तान संकट: मौके का फायदा
2023-24 में जब पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर था:
- IMF ने $3 बिलियन कर्ज़ दिया, शर्तें रोथ्सचाइल्ड-जुड़े सलाहकारों ने तय कीं।
- रक्षा बजट में 30% कटौती, सरकारी बैंक निजी हाथों में।
- अफगानिस्तान की तांबे की खानें विदेशी कंपनियों को पट्टे पर दी गईं।
🎬 निष्कर्ष: क्या आज भी ये दुनिया चलाते हैं?
हाँ! पर अब तरीका बदल गया है:
- युद्ध: यूक्रेन संकट से यूरोप को रूसी गैस से हटाकर अपने LNG बाजार को बढ़ावा।
- शिक्षा: ऑक्सफोर्ड-कैम्ब्रिज में “ग्लोबल सिटिजनशिप” जैसे कोर्सों के ज़रिए नई पीढ़ी को प्रोग्राम करना।
- कानून: डिजिटल मुद्रा कानूनों को G20 जैसे मंचों से पास करवाना।
चेतावनी:
“रोथ्सचाइल्ड का नया लक्ष्य देश नहीं, बल्कि इंसान की आजादी पर कब्जा करना है। आने वाली पीढ़ी डिजिटल जंजीरों में जिएगी, जहाँ उसका डेटा ही उसकी पहचान होगा!”
Also Read: तीसरा विश्व युद्ध: अब खून बहेगा… और धर्म, देश, भाषा सब चुप रहेंगे!