BY: Yoganand Shrivastva
हिंदी फिल्म जगत के प्रसिद्ध निर्देशक पार्थो घोष का सोमवार सुबह निधन हो गया। 75 वर्ष की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वे हाल ही में अपना जन्मदिन मना चुके थे — यह दुर्भाग्यपूर्ण संयोग है कि वे अपने जन्मदिन के महज एक दिन बाद दुनिया से विदा हो गए।
80 के दशक से शुरू हुआ फिल्मी सफर
8 जून 1949 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में जन्मे पार्थो घोष ने कला, साहित्य और संगीत के माहौल में परवरिश पाई। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1985 में बंगाली फिल्मों में सहायक निर्देशक के रूप में की। कुछ वर्षों बाद उन्होंने मुंबई का रुख किया और हिंदी सिनेमा में बतौर निर्देशक अपनी पहचान बनाई।
‘100 डेज’ से मिली बड़ी पहचान
1991 में आई ‘100 डेज’ उनकी पहली ऐसी फिल्म थी जिसने उन्हें बॉलीवुड में बड़ी पहचान दिलाई। माधुरी दीक्षित और जैकी श्रॉफ की मुख्य भूमिकाओं वाली यह फिल्म तमिल फिल्म ‘नूरवथु नाल’ का हिंदी रूपांतरण थी। इस सस्पेंस-थ्रिलर को दर्शकों और समीक्षकों ने खूब सराहा।
‘दलाल’ और ‘गीत’ ने दी सफलता की उड़ान
1992 में उन्होंने दिव्या भारती के साथ ‘गीत’ बनाई। लेकिन उनकी सबसे बड़ी व्यावसायिक सफलता रही 1993 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘दलाल’, जिसमें मिथुन चक्रवर्ती और आयशा जुल्का नजर आए थे। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और पार्थो घोष के करियर में मील का पत्थर साबित हुई।
घरेलू हिंसा पर बनी ‘अग्नि साक्षी’ ने छू लिया दिल
1996 में आई फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ ने उन्हें गंभीर विषयों पर फिल्में बनाने वाले निर्देशकों की श्रेणी में ला खड़ा किया। नाना पाटेकर, जैकी श्रॉफ और मनीषा कोइराला की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म की कहानी घरेलू हिंसा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आधारित थी। फिल्म को दर्शकों और आलोचकों ने खूब सराहा और यह उनके करियर की सबसे प्रभावशाली फिल्मों में से एक बनी।
अंतिम फिल्म और सिनेमाई विरासत
अपने करियर में पार्थो घोष ने 15 से अधिक फिल्मों का निर्देशन किया जिनमें सामाजिक, रोमांटिक और थ्रिलर जैसी विभिन्न शैलियाँ शामिल थीं। उनकी अंतिम फिल्म थी ‘मौसम इकरार के, दो पल प्यार के’, जो 2018 में रिलीज़ हुई थी।
उनकी फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ को फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक की श्रेणी में नामांकन भी मिला था, जो उनके निर्देशन कौशल को प्रमाणित करता है।
फिल्म इंडस्ट्री की श्रद्धांजलि
एक्ट्रेस ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने उनके निधन पर शोक जताया और उन्हें एक शानदार इंसान बताया। पार्थो घोष के निधन से सिनेमा जगत को अपूरणीय क्षति हुई है, लेकिन उनकी फिल्में हमेशा उन्हें जीवित रखेंगी।