ईरान में पालतू कुत्तों को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। देश के कई शहरों में अब सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को टहलाने पर पूर्ण या आंशिक प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके पीछे प्रशासन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य, सामाजिक व्यवस्था और सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया है।
तेहरान की समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रतिबंध उन शहरों में लगाया गया है जहां पहले ऐसी सख्ती नहीं थी।
किन शहरों में लगा है प्रतिबंध?
नए प्रतिबंध ईरान के निम्न शहरों में लागू किए गए हैं:
- करमानशाह
- इलम
- हमादान
- करमान
- बोरौजर्ड
- रोबत करीम
- लवसनात
- गोलेस्तान
पहली बार इस तरह का प्रतिबंध वर्ष 2019 में राजधानी तेहरान में लागू किया गया था, जिसे अब अन्य शहरों तक विस्तार दिया जा रहा है।
ईरानी अधिकारियों की दलील क्या है?
अधिकारियों ने यह कदम निम्नलिखित वजहों से उठाया है:
- सार्वजनिक स्वास्थ्य: उनका कहना है कि कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर घुमाने से बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
- सुरक्षा जोखिम: कुछ मामलों में लोगों की सुरक्षा को खतरा बताया गया है।
- सामाजिक व्यवस्था: अधिकारियों के अनुसार, यह कदम सामाजिक शांति बनाए रखने के लिए ज़रूरी है।
हालांकि, इन तर्कों का कोई वैज्ञानिक या विस्तृत विवरण अब तक साझा नहीं किया गया है।
उल्लंघन पर होगी सख्त कार्रवाई
स्थानीय अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार:
- यदि कोई व्यक्ति कुत्ते को सार्वजनिक स्थानों जैसे पार्क, सड़क या अपने वाहन में लेकर घूमता हुआ पाया गया, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
- अर्दबील प्रांत के अधिकारी मोजफ्फर रेजाई ने कहा, “कानून का पालन न करने वालों को परिणाम भुगतने होंगे।”
कुत्ता पालन और ईरान में धार्मिक दृष्टिकोण
1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से ही ईरान में कुत्तों को पालना एक विवादास्पद मुद्दा रहा है।
- हालांकि कुत्तों को पालने पर कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है,
- कई धार्मिक विद्वानों का मानना है कि कुत्तों की लार या छूना धार्मिक रूप से अशुद्ध माना जाता है।
यह धार्मिक सोच समय-समय पर सामाजिक और प्रशासनिक फैसलों को प्रभावित करती रही है।
ईरान में कुत्तों को लेकर बनी यह नई स्थिति वैश्विक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन रही है। जहां एक ओर सरकार इसे जनहित में लिया गया फैसला मान रही है, वहीं दूसरी ओर लोगों में इसका विरोध भी देखा जा रहा है।
यह प्रतिबंध ना सिर्फ सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे प्रशासन सुरक्षा और संस्कृति के नाम पर पालतू जानवरों पर नियंत्रण की कोशिश कर रहा है।