ग्रुप कैप्टन शुभांशु “गुंजन” शुक्ला अंतरिक्ष की ऐतिहासिक यात्रा पर निकलने वाले हैं, और इसके साथ ही उनके लखनऊ स्थित परिवार में गर्व के साथ-साथ स्वाभाविक चिंता भी छाई हुई है। 10 जून को, 39 वर्षीय भारतीय वायु सेना के इस अधिकारी को इंडो-यूएस एक्सियम मिशन-4 (Ax-4) का हिस्सा बनना है। वह राकेश शर्मा (1984 में अंतरिक्ष यात्रा करने वाले पहले भारतीय) के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे।
एक सपना, जो सच हो रहा है
शुभांशु शुक्ला एक्सियम स्पेस के चौथे कमर्शियल मिशन का हिस्सा हैं और यह यात्रा स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से शुरू होगी। इस मिशन की कमान वयोवृद्ध अमेरिकी एस्ट्रोनॉट पैगी व्हिटसन संभालेंगी।
फिलहाल, शुभांशु कैनेडी स्पेस सेंटर में अनिवार्य क्वारंटीन में हैं, जबकि उनका परिवार लखनऊ के त्रिवेणी नगर स्थित अपने घर “अंशु निवास” में उनकी सुरक्षित वापसी की प्रार्थना कर रहा है।
परिवार की भावनाएं: गर्व और डर का मिश्रण
शुभांशु के पिता शंभू दयाल शुक्ला (73 वर्ष, पूर्व सिविल सर्वेंट) और मां आशा शुक्ला (67 वर्ष) ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके लिए यह समय बेहद भावुक है।
“हम लंबे समय से उनके अंतरिक्ष जाने की बात सुन रहे थे, लेकिन हमारे मन में कई सवाल थे। हम किससे पूछते? अंतरिक्ष में वास्तव में क्या होता है?” — आशा शुक्ला
इस चिंता को दूर करने में इजरायली एस्ट्रोनॉट एतान स्टिबे ने मदद की, जो एक्सियम-1 मिशन (2022) का हिस्सा रह चुके हैं। 9 मई को लखनऊ आए स्टिबे ने शुक्ला परिवार के साथ डिनर किया और अंतरिक्ष यात्रा के अनुभव साझा किए।
“उन्होंने हमें बताया कि अंतरिक्ष में कैसे सोते हैं, खाते हैं और रहते हैं। उनकी बातों ने हमारी चिंता कम कर दी।” — शुभांशु की बहन सुचि
शुभांशु शुक्ला: एक साधारण बचपन से असाधारण सफर
- जन्म: 10 अक्टूबर, 1985 (लखनऊ)
- शिक्षा: सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (CMS)
- वायु सेना में शामिल हुए: 17 जून, 2006
- पत्नी: डॉ. कमना शुक्ला (दंत चिकित्सक)
- बेटा: 6 साल का
शुभांशु के पिता ने बताया कि वह बचपन से ही शांत और फोकस्ड थे।
“उन्होंने कभी बाजार तक अकेले जाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। लेकिन जब उन्होंने NDA ज्वाइन करने का फैसला किया, तो हमें विश्वास था कि वह कुछ बड़ा करेंगे।” — शंभू दयाल शुक्ला
लखनऊ का गुमनाम हीरो
त्रिवेणी नगर के लोगों को हैरानी हुई जब उन्हें पता चला कि उनके इलाके का एक लड़का अंतरिक्ष यात्री बनने वाला है।
“हमें टीवी पर खबर देखकर पता चला। उन्हें देखा तक नहीं था!” — राकेश मिश्रा, पड़ोसी
अब सिर्फ एक प्रार्थना
शुभांशु की मां का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण परिवार फ्लोरिडा नहीं जा पाया, लेकिन वे रोज वीडियो कॉल से जुड़ते हैं।
“हम पूजा करेंगे और भगवान से उनकी सुरक्षित वापसी की प्रार्थना करेंगे।” — शंभू दयाल शुक्ला
क्यों महत्वपूर्ण है यह मिशन?
- यह भारत और अमेरिका का संयुक्त अंतरिक्ष मिशन है।
- शुभांशु ISRO के Gaganyaan प्रोग्राम के लिए भी प्रशिक्षित हैं।
- यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान को वैश्विक स्तर पर मजबूती देगा।