घटना का सार:
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी (एक प्रमुख पर्यटन स्थल) में आतंकियों ने हमला किया। ये आतंकी पहाड़ियों से नीचे उतरे और पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। इस हमले में 16 लोगों की मौत हुई, जिनमें 2 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं, और कई घायल हुए। घटना के बाद दिल्ली और मुंबई सहित कई शहरों में सुरक्षा अलर्ट जारी किया गया है।
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हमले की “टाइमिंग” पर सवाल: क्यों चुना गया ये मौका?
- PM मोदी विदेश में: हमले के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर थे। आतंकी अक्सर ऐसे अवसरों का फायदा उठाते हैं जब देश का नेतृत्व बाहर हो।
- अमेरिकी उपराष्ट्रपति का भारत दौरा: अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत में थे। यह हमला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरने और भारत की छवि धूमिल करने की कोशिश लगता है।
- अमरनाथ यात्रा से पहले: अमरनाथ यात्रा (3 जुलाई से शुरू) से ठीक पहले यह हमला कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने का संकेत है। पहलगाम यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव है।
विशेषज्ञों का विश्लेषण:
- ब्रिगेडियर संदीप थापर (रिटायर्ड) कहते हैं: “मैंने पहले कभी कश्मीर में पर्यटकों पर इतना बड़ा हमला नहीं देखा। यह हमला अमरनाथ यात्रा को डराने या अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचने की कोशिश हो सकती है।”
- कर्नल यूएस राठौड़ (रिटायर्ड) के अनुसार: “नाम पूछकर लोगों को मारना कश्मीर में पुरानी आतंकी रणनीति है, लेकिन इस बार पीड़ितों की संख्या चौंकाने वाली है।”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:
- PM मोदी ने हमले की निंदा करते हुए कहा: “आतंकवादियों और उनके समर्थकों को कड़ी सजा मिलेगी।”
- जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और मृतकों के परिवारों को मुआवजे की घोषणा की।
- सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी इसकी निंदा की, लेकिन विपक्ष ने सरकार पर सुरक्षा व्यवस्था ढीली करने का आरोप लगाया।
क्या है आगे की रणनीति?
- सुरक्षा बलों ने घाटी में छापेमारी शुरू कर दी है और आतंकियों का पीछा किया जा रहा है।
- दिल्ली-मुंबई में अलर्ट: प्रमुख शहरों में सार्वजनिक स्थानों (खासकर पर्यटन क्षेत्रों) पर सुरक्षा बढ़ाई गई है।
- अमरनाथ यात्रा की तैयारियों पर असर? सरकार ने कहा है कि यात्रा शेड्यूल के अनुसार ही होगी, लेकिन सुरक्षा चुनौती बढ़ गई है।
निष्कर्ष:
यह हमला सिर्फ जानलेवा नहीं, बल्कि साइकोलॉजिकल वॉर भी है। आतंकी चाहते हैं कि पर्यटक कश्मीर जाने से डरें, अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत की छवि खराब हो, और सरकार दबाव में आए। लेकिन, इतिहास बताता है कि ऐसे हमले भारत की एकजुटता को तोड़ नहीं पाते। अब देखना है कि सुरक्षा बल कितनी जल्दी इसके पीछे के संगठन को ध्वस्त करते हैं।
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