भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान पर उनकी सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर आलोचना की है। पठान ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर चाय पीते हुए तस्वीरें शेयर कीं, जबकि उनके निर्वाचन क्षेत्र बहरामपुर (मुर्शिदाबाद) में हिंसा और अशांति फैली हुई है।
यूसुफ पठान का विवादास्पद पोस्ट
12 अप्रैल को यूसुफ पठान ने इंस्टाग्राम पर कुछ तस्वीरें पोस्ट कीं, जिनमें वह आराम से चाय पीते दिखाई दे रहे थे। उन्होंने कैप्शन में लिखा – “आसान दोपहर, अच्छी चाय और शांत माहौल। बस इस पल का आनंद ले रहा हूं।”

हालांकि, यह पोस्ट सोशल मीडिया पर विवादों में घिर गया, क्योंकि इसी दौरान मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हो रहे थे, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग गिरफ्तार हुए।
बीजेपी ने की तीखी आलोचना
बीजेपी प्रवक्ता शेहजाद पूनावाला ने यूसुफ पठान पर निशाना साधते हुए कहा – “ममता बनर्जी ने कहीं से यूसुफ पठान नाम के एक क्रिकेटर को उठाया, उन्हें टिकट दिया और वोट बैंक की वजह से वह बहरामपुर से जीत गए। आज जब बंगाल जल रहा है, हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा जा रहा है, तब यूसुफ पठान चाय पीकर मजे कर रहे हैं… यही टीएमसी की प्राथमिकता है कि पठान साहब चाय पिएंगे और आनंद लेंगे, जबकि बंगाल में हिंसा हो रही है और दास परिवार के लोग मारे जा रहे हैं।”
बीजेपी के एक अन्य प्रवक्ता सीआर केसवन ने भी टीएमसी पर हमला बोला और कहा – “ममता बनर्जी की सांप्रदायिक तुष्टीकरण की राजनीति पश्चिम बंगाल को जलियांवाला बाग बना रही है… जब मुर्शिदाबाद में लोगों की हत्याएं हो रही हैं, तब टीएमसी सांसद यूसुफ पठान सोशल मीडिया पर चाय पीने की तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं। यह टीएमसी की असहिष्णु मानसिकता को दिखाता है।”
मुर्शिदाबाद में हिंसा की पृष्ठभूमि
मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा, उत्तर और दक्षिण 24 परगना, हुगली और कोलकाता में भी हिंसा फैल गई है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों और सिलीगुड़ी के मुस्लिम संगठनों ने भी इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं।
केंद्र सरकार ने हालात को नियंत्रित करने के लिए संवेदनशील इलाकों में केंद्रीय बलों की तैनाती की है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
बीजेपी ने ममता बनर्जी सरकार पर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है, जबकि टीएमसी अब तक इस मामले पर स्पष्ट रुख नहीं अपना पाई है।
इस घटना ने एक बार फिर बंगाल की सियासी गर्मी को बढ़ा दिया है, जहां आने वाले चुनावों में यह मुद्दा प्रमुखता से उठ सकता है।