आरबीआई गर्वनर के रूप में संजय मल्होत्रा की यात्रा आज से शुरू होने जा रही है। मल्होत्रा आज शक्तिकांत दास की जगह चार्ज लेंगे। ऐसे में अब संजय मल्होत्रा के सामने कई चुनौतियां आने वाली है। बता दें कि मल्होत्रा ने ऐसे समय में चार्ज संभाला है, जब इंडियन इकोनॉमी की रफ्तार सुस्त पड़ी है। ऐसे में संजय को इस बड़ी चुनौती से हर हाल में निकलना होगा। वहीं शक्तिकांत दास ने 2 साल से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया, जिससे महंगाई पर काबू नहीं पाया जा सका।
26वें गवर्नर के रूप में संभालेंगे चार्ज
संजय मल्होत्रा को एक टीम के रूप में काम करने वाला कहा जाता है। वह मानते हैं कि कीमतों को अकेले केंद्रीय बैंक प्रबंधित नहीं कर सकता है और इस कार्य के लिए सरकारी मदद की भी आवश्यकता है। वह ऐसे समय केंद्रीय बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं जब आरबीआई पर आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए प्रमुख ब्याज दर रेपो में कटौती का दबाव है।
सरकार की ओर से ब्याज दर घटाने का दबाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल के दिनों में ब्याज दर में कटौती की वकालत की है। इसका कारण यह है कि उच्च ब्याज लागत अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है। इससे आरबीआई पर नीतिगत दर में कटौती का दबाव भी है। माना जाता है कि मल्होत्रा के वित्त मंत्री के साथ अच्छे संबंध हैं। यह मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों को अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुरूप बनाने में मददगार हो सकते हैं।