कल्पना कीजिए एक ऐसे योद्धा की जिसने अंग्रेजों के खिलाफ न सिर्फ तलवार से बल्कि कलम से भी जंग लड़ी! यही थे विजय सिंह पथिक—एक क्रांतिकारी, किसान नेता, पत्रकार और ऐसे कवि जिनकी रचनाओं ने हजारों भारतीयों में देशभक्ति की आग भर दी।
लेकिन आखिर ये “पथिक” नाम कैसे पड़ा? इन्होंने राजस्थान में किसान आंदोलन को कैसे जगाया? और क्यों इन्हें राजस्थान का गांधी कहा जाता है? आइए, इस वीर स्वतंत्रता सेनानी की दास्तान जानते हैं!
विजय सिंह पथिक कौन थे?
- जन्म: 13 फरवरी 1882 को हरियाणा के बड़ली गाँव में (तब यह राजस्थान का हिस्सा था)।
- मूल नाम: भूप सिंह गुर्जर, लेकिन बाद में “पथिक” (यात्री) नाम से प्रसिद्ध हुए क्योंकि वे देशभर में घूम-घूम कर क्रांति का संदेश फैलाते थे।
- विशेषता: केवल एक लड़ाका ही नहीं, बल्कि कवि, लेखक और समाज सुधारक भी थे।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
1. बिजौलिया किसान आंदोलन (1916-1921)
- राजस्थान के बिजौलिया (भीलवाड़ा) में किसानों पर अंग्रेजों और स्थानीय राजाओं का जुल्म बढ़ गया था।
- पथिक ने वहाँ के किसानों को एकजुट किया और लगान (टैक्स) के खिलाफ आंदोलन छेड़ा।
- यह भारत का पहला सफल किसान आंदोलन माना जाता है, जिसने गांधी जी के चंपारण आंदोलन से पहले ही अहिंसक प्रतिरोध की मिसाल कायम की।
2. “तरुण राजस्थान” अखबार का संपादन
- उन्होंने इस अखबार के जरिए अंग्रेजों के अत्याचारों को उजागर किया।
- उनकी लेखनी इतनी तीखी थी कि अंग्रेज सरकार ने अखबार पर पाबंदी लगा दी!
3. क्रांतिकारी संगठनों से जुड़ाव
- गदर पार्टी और आर्य समाज के साथ मिलकर स्वतंत्रता की अलख जगाई।
- कई बार जेल गए, लेकिन हौसला कभी नहीं टूटा।
पथिक: एक जनकवि के रूप में
विजय सिंह पथिक सिर्फ लड़ाई के मैदान के हीरो नहीं थे—वे राजस्थानी और हिंदी के प्रसिद्ध कवि भी थे। उनकी रचनाओं ने लोगों में देशप्रेम की ज्वाला जलाई:
- “पथिक प्रमोद” (देशभक्ति कविताएँ)
- “अमर काव्य” (क्रांति और स्वतंत्रता पर ओजस्वी रचनाएँ)
- “जीवन चरित्र” (क्रांतिकारियों की जीवनियाँ)
उनकी कविताएँ सुनकर युवाओं का खून खौल उठता था और वे आजादी की लड़ाई में कूद पड़ते थे!

आज भी क्यों याद किए जाते हैं पथिक?
- राजस्थान के गांधी: उन्होंने अहिंसक किसान आंदोलन की नींव रखी।
- साहित्य और क्रांति का मेल: वे लड़ाई और लेखनी दोनों में माहिर थे।
- किसानों के मसीहा: आज भी राजस्थान के किसान उन्हें अपना नायक मानते हैं।
सम्मान और विरासत
- जयपुर के विधायक पुरी में उनकी प्रतिमा स्थापित है।
- राजस्थान सरकार “विजय सिंह पथिक सम्मान” देती है, जो साहित्य और समाज सेवा के क्षेत्र में दिया जाता है।
क्या आप जानते हैं?
- पथिक ने भिकाजी कामा और लाला हरदयाल जैसे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर काम किया।
- उन्होंने “चेतना सभा” नामक संगठन बनाया, जो युवाओं को देशभक्ति सिखाता था।
“हमें जीवन में वही करना चाहिए, जिससे देश का कल्याण हो।”
— विजय सिंह पथिक
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