प्राचीन काल से ही भारत की परंपरा में खेल और खेलकूद की गतिविधियों को महत्व दिया गया है। भारतीय ऋषि इस बात का उद्घोष करते हैं कि ‘शरीरमाद्यम् खलु धर्म साधनम्’ यानी धर्म के जितने भी साधन हैं, वह स्वस्थ शरीर से ही संभव हैं। स्वस्थ शरीर के लिए खेलकूद, योगासन, प्राणायाम आदि क्रियाएं अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्वस्थ शरीर ही समर्थ समाज और सशक्त राष्ट्र की परिकल्पना को भी साकार कर सकता है। उक्त बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं। उन्होंने 73 वें अखिल भारतीय पुलिस रेसलिंग क्लस्टर-2024 के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। सीएम योगी ने प्रतियोगिता में शामिल प्रतिभागियों का अभिनंदन किया।
दिव्यांग खिलाड़ियों ने मनवाया अपनी प्रतिभा का लोहा
सीएम योगी ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत की संकल्पना के लिए जो कार्यक्रम प्रस्तुत किए थे, उनमें खेल और खेलकूद की गतिविधियां भी महत्वपूर्ण हैं। खेलो इंडिया खेलो, फिट इंडिया मूवमेंट, सांसद खेलकूद प्रतियोगिता, गांव-राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित हो रही हैं। हर तबके का व्यक्ति इन आयोजनों के साथ जुड़ रहा है। पेरिस में पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के जज्बे को पूरा देश और दुनिया देख रही है कि कैसे बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा और तेज का लोहा मनवाने का भी काम किया है। यह दृश्य हमारे लिए इसलिए भी प्रसन्नता का है, क्योंकि यह प्रधानमंत्री की ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत की’ परिकल्पना को भी साकार कर रहा है।
कई बार पराजय भी बड़ी जीत का मार्ग प्रशस्त करता है
सीएम योगी ने कहा कि खेल अपने कार्य के प्रति समर्पण के भाव के साथ तो जोड़ता ही है, साथ ही साथ जीवन में उतार-चढ़ाव के हर एक मोड़ पर जीतने की भी प्रेरणा देता है। अति प्रफुल्लित होकर अन्य के जीवन में बाधा पैदा करने की जो कुत्सित चेष्टाएं होती है, उसे रोकने का सामर्थ्य भी देता है। अगर किसी कारणों से सफलता नहीं प्राप्त हुई तो हर खिलाड़ी के अंदर शालीनता से उसे स्वीकार करने का भी सामर्थ्य भी पैदा करता है और जीवन इसी से चलता है।बहुत बार पराजय भी बड़ी जीत का मार्ग प्रशस्त करता है।
हमें रचनात्मक कार्यों के साथ भी जुड़ना होगा
सीएम ने पुलिस बल के उपस्थित जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा रहा हो या विभिन्न प्रदेशों में कानून व्यवस्था, सुरक्षा का बेहतरीन माहौल बनाने का मुद्दा। पुलिस अपने इन उत्तरदायित्वों का निर्वहन पूरी प्रतिबद्धता और ईमानदारी के साथ करने का प्रयास करती है, लेकिन इन सभी के बावजूद अन्य ऐसी गतिविधियां जो समाज को जोड़ती हो, एक दूसरे के मन में विश्वास पैदा करती हो, उन आयोजनों के साथ जुड़ना उतना ही रचनात्मक है और इसीलिए केवल पुलिसिंग ही नहीं, बल्कि हमें अन्य रचनात्मक कार्यों के साथ भी जुड़ना होगा।