रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महू में आयोजित रण संवाद 2025 के दौरान स्पष्ट किया कि भारत अपनी जमीन की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि चुनौतियां बड़ी हो सकती हैं, लेकिन देश के प्रति हमारा संकल्प और साहस उनसे भी बड़ा है।
“दुनिया हमें केवल हमारी शक्ति के लिए नहीं, बल्कि सत्य, शांति और न्याय के प्रति हमारे समर्पण के लिए भी सम्मान देती है।”
राजनाथ सिंह ने यह भी बताया कि देश की सुरक्षा केवल सैनिकों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें वैज्ञानिक, उद्योगपति और शिक्षक भी समान रूप से योगदान करते हैं।
रण संवाद 2025: विचारों और रणनीति का मंच
रक्षा मंत्री ने कहा कि रण संवाद सिर्फ विचारों का आदान-प्रदान नहीं है। यह तीनों सेनाओं की रणनीति, सुरक्षा नीति और युद्ध तैयारी के विभिन्न पहलुओं को समझने का अवसर है।
- इस मंच पर विशेषज्ञ और अधिकारियों के विचार भारत की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ाने में सहायक होंगे।
- संवाद में मित्र देशों की सेनाओं के अधिकारी भी शामिल होकर बहुमूल्य सुझाव साझा कर रहे हैं।
राजनाथ सिंह ने इसे भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का अवसर बताया, खासकर 2047 की दिशा में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने के लिए।
CDS अनिल चौहान का संदेश: शक्ति और शांति साथ-साथ
रण संवाद के पहले सत्र को संबोधित करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने कहा:
- भारत शांति प्रिय है, लेकिन शांतिवादी नहीं।
- सेना हमेशा युद्ध के लिए तैयार है।
- शक्ति के बिना शांति केवल यूटोपियन धारणा है।
उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का हवाला देते हुए कहा कि यह आधुनिक संघर्ष के अनुभव का महत्वपूर्ण सबक है।
“भविष्य की जंग बेहद खतरनाक होगी। थलसेना, वायुसेना और नौसेना का सहयोग ही हमें जीत दिला सकता है। शस्त्र और शास्त्र दोनों को एकसाथ अपनाना होगा।”
CDS ने यह भी स्पष्ट किया कि रण संवाद का उद्देश्य सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करना नहीं, बल्कि भविष्य के युद्ध पर विचार करना है।
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शांति और सामरिक तैयारी का संदेश
रण संवाद 2025 में यह स्पष्ट हुआ कि भारत:
- अपनी सीमा और संप्रभुता की रक्षा के लिए तैयार है।
- सैन्य शक्ति, रणनीति और नवाचार का संतुलन बनाए रखेगा।
- भविष्य की चुनौतियों के लिए सशक्त और आत्मनिर्भर रहेगा।
रक्षा मंत्री और CDS ने दोनों ही यह संदेश दिया कि भारत का संकल्प और साहस किसी भी चुनौती से बड़ा है, और देश की रक्षा में हर नागरिक, वैज्ञानिक और सैनिक की भागीदारी अहम है।