हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में निर्दोष नागरिकों की जान गई, और ये घटना न सिर्फ दुखद है, बल्कि ये हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर आतंकवाद का ये सिलसिला कब रुकेगा? इस घटना के बाद भारत सरकार और हमारी सेना ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसके बारे में हर भारतीय को जानना चाहिए। तो चलिए, इस मुद्दे को गहराई से समझते हैं।
पहलगाम हमले ने क्यों हिलाया देश को?
पहलगाम, जम्मू-कश्मीर का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। लेकिन हाल ही में यहाँ आतंकियों ने आम नागरिकों पर हमला किया, जिससे कई लोगों की जान चली गई। ये हमला न सिर्फ एक त्रासदी है, बल्कि ये भारत की सुरक्षा और शांति के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस घटना के बाद पूरे देश में गुस्सा है, और लोग सरकार से सख्त कार्रवाई की माँग कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
इस हमले के बाद दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा अधिकारियों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक की। इस बैठक का ब्योरा तो गोपनीय है, लेकिन जो जानकारी सामने आई है, वो बेहद अहम है। पीएम मोदी ने साफ तौर पर कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का संकल्प अटल है। उन्होंने भारतीय सेना की पेशेवर क्षमताओं पर पूरा भरोसा जताया और कहा कि सेना को अब पूरी आजादी दी गई है। इसका मतलब है कि सेना को ये तय करने की छूट है कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कैसे, कब और कहाँ करनी है।
सेना को “फ्री हैंड” का मतलब क्या?
“फ्री हैंड” यानी सेना को ऑपरेशनल आजादी। अब सेना को अपने लक्ष्य चुनने, रणनीति बनाने और कार्रवाई करने की पूरी स्वतंत्रता है। पहले कई बार सेना को राजनीतिक या प्रशासनिक मंजूरी के लिए इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसका सीधा मतलब है कि आतंकियों के खिलाफ तुरंत और सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
पिछले कुछ समय से भारतीय सेना कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में आतंकवाद विरोधी अभियान चला रही है। लेकिन इस बार सरकार का रुख और सख्त दिख रहा है। पीएम का ये बयान एक तरह से आतंकियों को चेतावनी है कि अब भारत और उसकी सेना चुप नहीं बैठेगी।
लोगों की माँग और सरकार का दबाव
पहलगाम हमले के बाद आम जनता में गुस्सा साफ देखा जा सकता है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, लोग आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठाने की माँग कर रहे हैं। लोग नहीं चाहते कि ऐसी घटनाएँ दोबारा हों। इस जन दबाव को देखते हुए सरकार ने सेना को खुली छूट दी है, ताकि आतंकवाद की जड़ों को उखाड़ा जा सके।
क्या है चुनौती?
आतंकवाद एक जटिल समस्या है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को कई बार बाहरी समर्थन मिलता है, जिससे स्थिति और जटिल हो जाती है। इसके अलावा, आतंकी संगठन आम नागरिकों को निशाना बनाकर डर फैलाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में सेना के सामने चुनौती है कि वो आतंकियों को निशाना बनाए, लेकिन आम लोगों को कोई नुकसान न हो।
आगे क्या होगा?
पीएम मोदी का ये बयान और सेना को मिली आजादी एक साफ संदेश है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ और आक्रामक रुख अपनाएगा। हो सकता है कि आने वाले दिनों में हम कश्मीर या अन्य इलाकों में बड़े आतंकवाद विरोधी अभियान देखें। लेकिन इसके साथ ही ये भी जरूरी है कि सरकार और सेना आम लोगों का भरोसा बनाए रखे।