जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कहानी सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह कोई सामान्य हमला नहीं था, बल्कि एक सुनियोजित नरसंहार का प्रयास था, जहाँ पर्यटकों को उनके नाम और धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया।
“मैं भेलपुरी खा रही थी, तभी आए आतंकियों ने पूछा—’तुम हिंदू हो?'”
एक महिला पर्यटक, जो इस हमले में बच गई, ने बताया कि वह अपने पति के साथ पहलगाम की खूबसूरत वादियों का आनंद ले रही थी। तभी अचानक एक आतंकी आया और उसके पति से पूछा—
“तुम्हारा नाम क्या है? तुम हिंदू हो या मुस्लिम?”
जब उसके पति ने जवाब दिया कि वे हिंदू हैं, तो बिना किसी देरी के आतंकी ने उन पर गोली चला दी। यह घटना साबित करती है कि यह हमला धार्मिक नफरत से प्रेरित था।
खून से लथपथ मंज़र, महिलाओं की चीखें
हमले के बाद का दृश्य भयावह था—
- एक महिला अपने घायल पति को गोद में लिए रो रही थी, मदद के लिए चिल्ला रही थी।
- कई पर्यटक ज़मीन पर लहूलुहान पड़े थे, स्थानीय लोग उन्हें अस्पताल पहुँचाने की कोशिश कर रहे थे।
- कुछ लोगों ने बताया कि आतंकी सीधे गैर-मुस्लिमों को टारगेट कर रहे थे।
क्या यह हमला कश्मीर में पर्यटन को डराने की साजिश है?
पहलगाम कश्मीर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहाँ हज़ारों पर्यटक हर साल आते हैं। यह हमला सिर्फ लोगों को मारने के लिए नहीं, बल्कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने की भी साजिश लगती है। अगर पर्यटक कश्मीर आने से डरने लगेंगे, तो वहाँ के स्थानीय लोगों की रोज़ी-रोटी पर सीधा असर पड़ेगा।
सरकार और सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया
- गृह मंत्री अमित शाह ने घटना की निंदा की और जम्मू-कश्मीर के लिए रवाना हो गए।
- सुरक्षा बलों ने आतंकियों की तलाश में ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
- एयर इंडिया ने पर्यटकों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है।
सवाल यह है—क्या कश्मीर फिर से 90s के दहशत के दिनों में लौट रहा है?
1990 के दशक में कश्मीर में इसी तरह के निशानेदार हमले हुए थे, जहाँ हिंदू परिवारों को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया था। क्या आज फिर वही दौर लौट रहा है? क्या सरकार और सुरक्षा एजेंसियाँ इस खतरे को समझ पा रही हैं?
निष्कर्ष:
यह हमला सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि साम्प्रदायिक नफरत और आर्थिक तबाही की साजिश है। अगर जल्दी कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो कश्मीर में एक बार फिर अशांति फैल सकती है।