इंदौर मेट्रो के कमर्शियल संचालन को एक महीना पूरा हो चुका है, लेकिन इतने कम समय में ही मेट्रो को यात्रियों की भारी गिरावट का सामना करना पड़ा है। शुरुआत में जहां एक दिन में 25,000 से अधिक लोग मेट्रो में सफर कर रहे थे, वहीं अब यह संख्या घटकर 500 से भी नीचे आ गई है। मेट्रो प्रबंधन ने इस गिरावट को ध्यान में रखते हुए संचालन के समय और किराए में बदलाव किए हैं।
यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट
- शुरुआती हफ्ता: 1.43 लाख से ज्यादा यात्रियों ने किया सफर
- दूसरा हफ्ता: घटकर रह गई 15,947
- तीसरा हफ्ता: और कम होकर 11,579
- अभी की स्थिति: कार्यदिवसों में 500 से भी कम यात्री रोजाना
केवल वीकेंड (शनिवार और रविवार) को ही संख्या 1,000 पार कर पा रही है। यह आंकड़ा मेट्रो के भविष्य को लेकर चिंता पैदा करता है।
बदल गया संचालन का समय
मेट्रो संचालन समय में बड़ा बदलाव किया गया है, जिससे संचालन को डिमांड आधारित बनाया जा सके।
कार्यदिवस (सोमवार से शुक्रवार):
- समय: सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक
- फ्रीक्वेंसी: हर 1 घंटे में एक ट्रेन
सप्ताहांत (शनिवार और रविवार):
- समय: सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक
- फ्रीक्वेंसी: हर 30 मिनट में एक ट्रेन
इस बदलाव का उद्देश्य कम भीड़ वाले दिनों में लागत घटाना और भीड़ वाले दिनों में सेवा सुधारना है।
बढ़ा मेट्रो का किराया
कम होती सवारी और बढ़ती लागत को देखते हुए 22 जून 2025 से किराए में भी बढ़ोतरी की गई:
- न्यूनतम किराया: ₹15 प्रति व्यक्ति
- अधिकतम किराया: ₹23 प्रति व्यक्ति
- रियायतें अब 25% तक सीमित
शुरुआती दिनों में यात्रियों को मुफ्त और फिर भारी रियायती दरों पर सफर का लाभ मिला, लेकिन अब यह सुविधा कम हो गई है।
संचालन में देरी और तकनीकी दिक्कतें
- ट्रेनों की समय पर उपलब्धता को लेकर सवाल खड़े हुए हैं।
- स्टेशन मास्टर ने बताया ट्रेन 5 बजे आएगी, लेकिन ट्रेन 5:15 पर आई।
- प्लेटफॉर्म पर लगे ऑटोमैटिक गेट भी बार-बार खराब हो रहे हैं।
यह सभी समस्याएं यात्रियों के अनुभव को प्रभावित कर रही हैं और भरोसे को कमजोर कर रही हैं।
अन्य शहरों से तुलना
देश के अन्य शहरों में मेट्रो सेवाओं का उपयोग बहुत अधिक है:
- दिल्ली मेट्रो: प्रतिदिन 60 लाख+ यात्री
- बेंगलुरु मेट्रो: 8.5 से 9 लाख
- हैदराबाद मेट्रो: 5 लाख+
- मुंबई मेट्रो: 3 लाख
- जयपुर मेट्रो: 50,000+
इन शहरों में मेट्रो जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है, जबकि इंदौर में अभी शुरुआती चुनौतियों का सामना किया जा रहा है।
इंदौर मेट्रो को पहले महीने में ही कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है—यात्रियों की घटती संख्या, संचालन की अनियमितता, और तकनीकी दिक्कतें। मेट्रो प्रशासन ने समय और किराए में बदलाव कर स्थिति संभालने की कोशिश की है, लेकिन जब तक यात्रियों को भरोसेमंद और सुविधाजनक सेवा नहीं मिलेगी, तब तक राइडरशिप में सुधार की उम्मीद मुश्किल है।





