हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की लगघाटी में देर रात बादल फटने से भारी नुकसान हुआ। जानकारी के अनुसार, यह घटना रात करीब 1:30 बजे भुबू क्षेत्र के आसपास हुई, जहां कई घर और गाड़ियां मलबे के साथ बह गईं।
स्थानीय लोग अचानक हुई इस प्राकृतिक आपदा से दहशत में आ गए। राहत की बात यह है कि अब तक किसी तरह की जनहानि की खबर सामने नहीं आई है।
मंडी और कुल्लू सीमा पर सबसे ज्यादा असर
- यह बादल फटना भुभू जोत पहाड़ पर हुआ, जो मंडी और कुल्लू की सीमा पर स्थित है।
- पहाड़ के एक ओर कुल्लू की लगघाटी, तो दूसरी ओर मंडी की चौहार घाटी है।
- कुल्लू की लगघाटी में अब तक 3 मकान और कई गाड़ियां बहने की जानकारी मिली है।
- मंडी की चौहार घाटी के सिल्हबुधानी, कुंगड और स्वार गांवों में भी तबाही का असर देखा गया है।
इन गांवों में एक दुकान, दो मछली फार्म, तीन फुटब्रिज और सैकड़ों बीघा जमीन बारिश और मलबे से बर्बाद हो गई। स्थानीय लोगों को साल 1993 की वही भयावह घटना याद आ गई, जब इसी इलाके में बादल फटने से भारी तबाही हुई थी।
भारी बारिश से बिगड़े हालात
सोमवार को पूरे हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए।
- कई जगह भूस्खलन हुआ।
- तीन राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 400 सड़कें बंद हो गईं।
- शिमला जिले के सुन्नी क्षेत्र में सतलुज नदी के कटाव और भूस्खलन के कारण शिमला-मंडी रोड को बंद करना पड़ा।
- सड़क की चौड़ाई घटकर केवल 1.5 मीटर रह गई, जिससे वाहन आवाजाही बेहद खतरनाक हो गई।
- वैकल्पिक मार्ग थाली पुल भी बंद है, जिसके चलते करसोग का शिमला से संपर्क टूट गया है।
कुल्लू और मंडी की सीमा पर हुआ यह बादल फटना हिमाचल प्रदेश में बारिश से बढ़ते खतरों की गंभीर तस्वीर पेश करता है। भले ही इस बार जनहानि की सूचना नहीं है, लेकिन संपत्ति और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है। राज्य में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश लोगों के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है।