ग्वालियर, एक ऐसा शहर जो कई बार मिलावटी खाद्य पदार्थों की वजह से देशभर में चर्चा में आ चुका है, आज एक बार फिर अपने लचर फूड सेफ्टी सिस्टम के कारण सवालों के घेरे में है। यहां न तो फूड लैब तैयार हो पाई है और न ही भोपाल से जांच रिपोर्ट आ रही हैं।
5 महीने से रिपोर्ट नहीं, 300 से ज्यादा सैंपल पेंडिंग
भोपाल स्थित लैब में भेजे गए 313 खाद्य नमूनों की रिपोर्ट पिछले 5 महीने से नहीं आई है। इनमें बर्फी, रसगुल्ला और पनीर जैसे उत्पाद शामिल हैं, जो अब उपभोक्ताओं तक पहुंच चुके हैं और खपत भी हो चुकी है। ऐसे में यदि किसी नमूने की रिपोर्ट बाद में खराब आती भी है, तो उसका कोई असर नहीं होगा।
जून महीने के नमूने भी अधर में:
- 81 सैंपल अकेले जून में लिए गए हैं, जिनकी रिपोर्ट आना बाकी है।
- फरवरी से अब तक भेजे गए सैंपलों में 112 सैंपल दूध व डेयरी प्रॉडक्ट्स के हैं।
- हाल ही में केवल 21 सैंपल की रिपोर्ट आई है, जिनमें 9 में गड़बड़ी पाई गई।
फूड लैब का निर्माण 3 साल से अधूरा
ग्वालियर के हुरावली इलाके में बनने वाली फूड लैब 2022 में पूरी होनी थी, लेकिन अब तक निर्माण पूरा नहीं हो सका। निर्माण कार्य में तीन साल की देरी हो चुकी है और अब भी 15% कार्य बाकी है।
बजट की स्थिति:
- प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने 24 जून को निरीक्षण करते हुए कहा था कि सरकार ने 3.40 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
- परंतु कार्यपालन यंत्री नीरू सिंह राजपूत के अनुसार उन्हें इस राशि की मंजूरी की जानकारी नहीं है।
विभागीय लापरवाही और उदाहरण
जानिए कहां से लिए गए सैंपल और रिपोर्ट का क्या हाल है:
- थाटीपुर: ध्यानेंद्र सिंह की डेयरी से 18 फरवरी को पनीर का सैंपल लिया गया, रिपोर्ट आज तक नहीं आई।
- डीडी नगर: बांके बिहारी स्वीट्स से 3 मार्च को मलाई बर्फी और रसगुल्ला के सैंपल लिए गए, जांच रिपोर्ट लंबित।
- विजय कुमार संस्थान, डीडी नगर से 27 मार्च को ब्रांडेड पनीर का सैंपल लिया गया, रिपोर्ट गायब है।
स्थानीय लैब होती तो स्थिति सुधरती
यदि ग्वालियर की लैब समय पर शुरू हो जाती, तो ग्वालियर सहित आसपास के 8 जिलों की जांच यहीं हो सकती थी। इससे रिपोर्ट में देरी नहीं होती और मिलावट के मामलों पर त्वरित कार्रवाई संभव हो पाती।
अधिकारी क्या कह रहे हैं?
सचिन श्रीवास्तव, सीएमएचओ का कहना है कि
“कई फूड सैंपलों की रिपोर्ट भोपाल से आनी बाकी है। जवाब में कहा गया है कि अगले सप्ताह तक मिल जाएंगी। ग्वालियर की लैब के बचे हुए कार्य के लिए अब तक बजट नहीं मिला है।”
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कब जागेगा सिस्टम?
ग्वालियर जैसे संवेदनशील शहर में जहां मिलावट की घटनाएं बार-बार सामने आती हैं, वहां 5 महीने से रिपोर्ट लापता रहना गंभीर चिंता का विषय है। अगर सरकार और प्रशासन समय रहते कदम नहीं उठाते, तो यह स्थिति लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।