भारत की रणनीतिक कार्रवाई पर वैश्विक समीकरणों का विश्लेषण
BY: VIJAY NANDAN
राजनीतिक/सांकेतिक समर्थन
इन देशों ने हमला होने पर भारत के साथ संवेदना जताई, आतंकवाद की निंदा की और कुछ ने ‘दोषियों को सजा’ की बात भी कही। इस प्रकार का समर्थन राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर तक सीमित होता है।
सैन्य कार्रवाई पर समर्थन
अगर भारत पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक या एयरस्ट्राइक जैसे सैन्य कदम उठाता है, तो यह मामला कूटनीति से आगे निकल जाता है। तब देशों की प्रतिक्रिया उनके रणनीतिक हितों, क्षेत्रीय स्थिरता, और अंतरराष्ट्रीय कानूनों से प्रभावित होगी।
कौन भारत का कितना समर्थन कर सकता है?
अमेरिका
- संभावना: मजबूत कूटनीतिक समर्थन, लेकिन सैन्य कदम पर संयम बरतने की सलाह दे सकता है।
- कारण: अमेरिका चाहता है कि दक्षिण एशिया में तनाव न बढ़े, लेकिन वह पाकिस्तान के “टेरर लिंक” को लेकर सतर्क भी है।
रूस
- संभावना: भारत का परोक्ष समर्थन, लेकिन पाकिस्तान से रिश्ते बिगाड़ना नहीं चाहेगा।
- कारण: रूस का पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग भी है, और वह भारत-पाक तनाव में तटस्थता बनाए रखने की कोशिश करता है।

🇫🇷 🇮🇱 फ्रांस और इज़राइल
- संभावना: आतंकवाद के खिलाफ भारत के कदम का स्पष्ट समर्थन कर सकते हैं।
- कारण: इन देशों का रुख आमतौर पर आतंकवाद के खिलाफ सख्त होता है और ये भारत के रणनीतिक साझेदार हैं।
ब्रिटेन
- संभावना: राजनीतिक समर्थन, लेकिन सैन्य कार्रवाई पर नपे-तुले बयान देगा।
- कारण: ब्रिटेन में पाकिस्तानी डाइसपोरा बड़ा है, और घरेलू राजनीति इसका असर डालती है।
चीन
- संभावना: भारत की कार्रवाई की निंदा या विरोध कर सकता है।
- कारण: चीन-पाकिस्तान की गहरी रणनीतिक साझेदारी (CPEC, UNSC में संरक्षण) और भारत से सीमा विवाद।
सऊदी अरब और यूएई
- संभावना: कूटनीतिक समर्थन तो संभव है, लेकिन खुला सैन्य समर्थन नहीं।
- कारण: भारत से आर्थिक रिश्ते मजबूत हैं, लेकिन पाकिस्तान के साथ धार्मिक-राजनीतिक संबंध भी हैं।
जापान और दक्षिण कोरिया
- संभावना: शांतिपूर्ण समाधान की अपील करेंगे।
- कारण: ये देश आमतौर पर सैन्य तनाव से बचने की नीति अपनाते हैं।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा अंतरराष्ट्रीय समर्थन
यदि भारत की कार्रवाई बिल्कुल लक्षित, सीमित और आतंकियों के ठिकानों तक सीमित हो, तो बहुत से देश इसे भारत का आत्मरक्षा में उठाया गया कदम मान सकते हैं।
लेकिन अगर कार्रवाई बड़े पैमाने पर होती है या नागरिक इलाकों पर असर पड़ता है, तो अंतरराष्ट्रीय समर्थन कमजोर हो सकता है।
भारत को क्या करना चाहिए?
- साक्ष्य जुटाकर कार्रवाई को वैध ठहराना
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहले से संवाद करना
- डिप्लोमैटिक समर्थन सुनिश्चित करना, खासकर UNSC स्थायी सदस्यों का
- साफ़ संदेश देना कि यह आतंकवाद के खिलाफ है, पाकिस्तान की जनता के खिलाफ नहीं
पहलगाम आतंकी हमले के बाद किस देश ने क्या कहा था
अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस हमले को “बेहद डरावना” बताते हुए भारत को पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।
रूस
रूसी राष्ट्रपति ने इस आतंकी वारदात को “क्रूर अपराध” करार दिया और कहा कि ऐसे हमलों का कोई औचित्य नहीं हो सकता। उन्होंने दोषियों को सजा दिलाने के लिए भारत के साथ सहयोग की प्रतिबद्धता जताई।
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ने इसे “बर्बर हमला” बताया और कहा कि आतंक अपने मकसद में कभी सफल नहीं हो सकता। उन्होंने भारत के लोगों के प्रति संवेदना जताई।
चीन
चीन के विदेश मंत्रालय ने पीड़ितों के परिजनों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और अपने राजदूत के ज़रिए हमले की सार्वजनिक रूप से निंदा की।
फ्रांस
फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने इस हमले को दुखद बताते हुए भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने की बात कही।
इजराइल
इजराइली प्रधानमंत्री और राजदूत ने भारत में हुए इस हमले पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में इजराइल भारत के साथ है।
ईरान
ईरान ने इस हमले को “घृणित आतंकवादी अपराध” करार दिया और भारत को सांत्वना दी। साथ ही पाकिस्तान-भारत तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव भी रखा।

सऊदी अरब
सऊदी क्राउन प्रिंस ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए भारत को समर्थन देने की बात कही और शांति बनाए रखने का आह्वान किया।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
यूएई ने हिंसा और अस्थिरता फैलाने वाली आतंकवादी गतिविधियों की निंदा करते हुए भारत के साथ अपनी एकजुटता जताई।
जापान
जापानी प्रधानमंत्री ने इस हमले को “अकारण और अमानवीय” बताया और कहा कि आतंकवाद को किसी भी बहाने से सही नहीं ठहराया जा सकता।
दक्षिण कोरिया
दक्षिण कोरिया ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई।
भारत को एक सीमा तक वैश्विक समर्थन अवश्य मिलेगा, लेकिन यदि कार्रवाई सैन्य टकराव का रूप लेती है, तो कई देश संयम की अपील करने लगेंगे। भारत के लिए यह ज़रूरी होगा कि वह कार्रवाई से पहले और बाद में सफाई के साथ संवाद बनाए रखे ताकि नैतिक और कूटनीतिक बढ़त बनी रहे।