BY: MOHIT JAIN
15 सितंबर को पूरे भारत में इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे क्यों मनाया जाता है और इसकी पृष्ठभूमि क्या है? इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य इंजीनियरिंग क्षेत्र में योगदान देने वाले महान व्यक्तियों की याद करना और नई पीढ़ी को प्रेरित करना है।
भारत में इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था। उन्हें आधुनिक भारत का महानतम इंजीनियर माना जाता है। उनके योगदान और सोच ने देश को बुनियादी ढांचे और तकनीकी विकास में नई दिशा दी।
92 साल की उम्र में गंगा पुल का सर्वे

साल 1952 में पटना के पास मोकामा में गंगा नदी पर राजेंद्र सेतु पुल का निर्माण चल रहा था। इस प्रोजेक्ट के सर्वे के लिए सर एम. विश्वेश्वरैया को बुलाया गया।
- उस समय उनकी उम्र 92 वर्ष थी।
- तेज गर्मी और उबड़-खाबड़ रास्तों के कारण वाहन पुल साइट तक नहीं जा सकते थे।
- उन्होंने हार नहीं मानी और पैदल चलकर पुल का सर्वे पूरा किया।
स्थानीय लोग बताते हैं कि जब वे थक जाते थे, तो सहयोगी उन्हें कंधे पर बिठाकर आगे ले जाते थे। इस साहस और लगन ने इस प्रोजेक्ट को इतिहास में अमर कर दिया।
जन्म और शिक्षा
- जन्म: 15 सितंबर 1860, चिक्काबल्लापुर, मैसूर (कर्नाटक)
- प्रारंभिक पढ़ाई: चिक्काबल्लापुर
- उच्च शिक्षा: बैंगलोर से B.A. और पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग
- करियर: PWD और भारतीय सिंचाई आयोग में इंजीनियर
क्यों रखा गया यह दिन
इंजीनियर्स डे को मनाने का उद्देश्य सिर्फ सर विश्वेश्वरैया को याद करना नहीं है, बल्कि:
- युवा इंजीनियरों को प्रेरित करना कि वे समाज और देश के लिए नई तकनीक और समाधान लेकर आएं।
- इंजीनियरिंग पेशे का सम्मान बढ़ाना और लोगों को यह समझाना कि यह सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम है।
- सर विश्वेश्वरैया के उदाहरण से यह सिखाना कि लगन, मेहनत और नैतिकता किसी भी चुनौती को पार कर सकती है।
सर एम. विश्वेश्वरैया के योगदान

- ब्लॉक सिंचाई प्रणाली (1899): सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी की बर्बादी रोकने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने की क्रांतिकारी विधि।
- ऑटोमेटिक फ्लड गेट्स (1903): बाढ़ के दौरान जलाशयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला नवाचार।
- विशाखापत्तनम पोर्ट की सुरक्षा: तटीय कटाव से पोर्ट की रक्षा।
- कृष्णा राजा सागर (KRS) डैम: दक्षिण भारत का सबसे बड़ा डैम, सिंचाई, पेयजल और जलविद्युत उत्पादन में योगदान।
- हैदराबाद बाढ़ नियंत्रण योजना: शहर को बाढ़ से बचाने और नई तकनीक विकसित करने में अहम भूमिका।
प्रेरणा और विरासत
- 1955 में भारत रत्न से सम्मानित।
- उनका जीवन संदेश: “काम जो भी हो, उसे ऐसा करें कि वह दूसरों से श्रेष्ठ हो।”
14 अप्रैल 1962 को 101 साल की उम्र में उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी लगन और सोच आज भी हर इंजीनियर के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
इंजीनियर्स डे क्यों मनाया जाता है? इसका जवाब सर एम. विश्वेश्वरैया के जीवन में छिपा है। उन्होंने यह साबित किया कि उम्र सिर्फ संख्या है और सच्चा इंजीनियर वही है जो समाज के लिए स्थायी समाधान लाए। इस दिन हम उनकी प्रेरणा को याद करते हैं और युवा पीढ़ी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करते हैं।