चिकित्सा क्षेत्र को दी अमूल्य विरासत
नई दिल्ली, 19 अप्रैल: भारत में एंजियोप्लास्टी की नींव रखने वाले प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सैमुअल मैथ्यू कलरिकल का शुक्रवार को 77 वर्ष की आयु में निधन हो गया। चिकित्सा जगत में उन्हें ‘भारत में एंजियोप्लास्टी के जनक’ के रूप में जाना जाता है। अपने जीवन के अंतिम दिनों तक भी उन्होंने मरीजों का इलाज जारी रखा और महज आठ दिन पहले ही उनकी एक रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी।
केरल के कोट्टायम जिले में जन्मे डॉ. कलरिकल ने अपनी प्रारंभिक चिकित्सा शिक्षा गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, कोट्टायम से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने चेन्नई स्थित स्टेनली मेडिकल कॉलेज और मद्रास मेडिकल कॉलेज से उच्च शिक्षा और विशेषज्ञता प्राप्त की। एंजियोप्लास्टी में विशेष प्रशिक्षण उन्होंने अमेरिका की एमोरी यूनिवर्सिटी में डॉ. एंड्रियास ग्रुएंटजिग से लिया, जो दुनिया के पहले चिकित्सक थे जिन्होंने यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक की थी।
1985 में भारत लौटने के बाद, डॉ. कलरिकल ने देश में एंजियोप्लास्टी की शुरुआत की। उस समय दिल के मरीजों के लिए केवल दवाओं से इलाज या फिर ओपन हार्ट बायपास सर्जरी ही विकल्प था। डॉ. कलरिकल ने न केवल इस उन्नत तकनीक को भारत में लागू किया बल्कि देश-विदेश के युवाओं को प्रशिक्षित कर एक नई पीढ़ी को दिशा दी।
मद्रास मेडिकल मिशन के कार्डियोलॉजी निदेशक डॉ. अजीत मुल्लासरी ने कहा, “बहुत कम चिकित्सक किसी एक प्रक्रिया में इस ऊंचाई तक पहुंच पाते हैं, और वे उनमें से एक थे। उन्होंने सिखाने में विश्वास किया ताकि देशभर के कार्डियोलॉजिस्ट इसे अपनाकर मरीजों की जान बचा सकें।”
डॉ. कलरिकल को याद किया जाएगा न केवल एक उत्कृष्ट चिकित्सक के रूप में, बल्कि एक शिक्षक, मार्गदर्शक और दूरदर्शी के रूप में, जिन्होंने भारत में हृदय रोगों के इलाज की दिशा ही बदल दी।
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