BY: Yoganand Shrivastva
गुना जिले के राघौगढ़ क्षेत्र से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां लंबे समय से सांप पकड़ने के कार्य में जुटे 42 वर्षीय सर्प मित्र दीपक महावर की सांप के डसने से मृत्यु हो गई। इस हादसे ने इलाके में शोक की लहर दौड़ा दी है।
सांप पकड़ने के बाद बेटे को लाने निकल पड़े
सोमवार दोपहर दीपक को बरबटपुरा गांव से एक सांप पकड़ने की कॉल आई थी। उन्होंने जल्दी ही सांप को पकड़ लिया। तभी उनके बेटे के स्कूल से फोन आया कि 13 वर्षीय बेटे की छुट्टी हो चुकी है। जल्दी में दीपक ने सांप को एक बैग में रखने की बजाय अपने गले में लटका लिया और सीधे बाइक से स्कूल पहुंच गए।
रास्ते में डस लिया सांप ने
स्कूल से बेटे को लेकर जब वह वापस घर लौट रहे थे, तभी रास्ते में गले में लटके सांप ने उनके हाथ पर काट लिया। जैसे ही सांप ने डसा, दीपक ने तुरंत अपने साथी को बुलाया और उन्हें राघौगढ़ अस्पताल ले जाया गया। वहां से प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें गुना जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
इलाज के बाद घर लौटे, फिर अचानक बिगड़ी तबीयत
गुना में इलाज के बाद उनकी हालत में सुधार दिखाई दिया और वे शाम को घर लौट आए। लेकिन रात करीब 12 बजे उनकी तबीयत अचानक फिर बिगड़ गई। परिजन उन्हें दोबारा गुना अस्पताल लेकर पहुंचे, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों के इलाज शुरू करने से पहले ही दीपक ने दम तोड़ दिया।
परिवार और बेटा सदमे में, इलाके में शोक
दीपक महावर को इलाके में ‘सर्प मित्र’ के नाम से जाना जाता था। उन्होंने सैकड़ों सांपों को रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगलों में छोड़ा था। जेपी कॉलेज में उन्हें विशेष रूप से इसी काम के लिए नियुक्त किया गया था। उनकी मौत से ना सिर्फ उनका परिवार, बल्कि पूरा राघौगढ़ और आसपास के ग्रामीण क्षेत्र शोक में डूबा हुआ है।
मंगलवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया, जहां अंतिम संस्कार के दौरान बड़ी संख्या में लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
यह घटना एक सबक भी है…
सर्प मित्रों और रेस्क्यू कर्मियों के लिए यह हादसा एक गंभीर चेतावनी है कि चाहे अनुभव कितना भी हो, सावधानी में कोई चूक जानलेवा साबित हो सकती है। दीपक की यह असामयिक मृत्यु यह दिखाती है कि जोखिम उठाने से पहले सुरक्षा उपकरणों और प्रक्रिया का पालन कितना ज़रूरी है।