BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा आर्थिक अपराधियों और भगोड़ों को देश वापस लाने की मुहिम को नई रफ्तार मिली है। इसी कड़ी में ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) की एक उच्चस्तरीय टीम ने दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल का दौरा किया। इस दौरे का मकसद ब्रिटिश अदालतों को यह भरोसा दिलाना था कि भारत प्रत्यर्पित अपराधियों को सुरक्षित और मानवीय माहौल उपलब्ध कराएगा।
सूत्रों के अनुसार, CPS के अधिकारियों ने तिहाड़ जेल के हाई-सिक्योरिटी वार्ड का गहन निरीक्षण किया और कैदियों से बातचीत भी की। इस निरीक्षण को विजय माल्या, नीरव मोदी, संजय भंडारी जैसे हाई-प्रोफाइल भगोड़ों के प्रत्यर्पण मामलों में अहम माना जा रहा है।
भारत ने दी सुरक्षा और मानवाधिकारों की गारंटी
भारतीय अधिकारियों ने ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि प्रत्यर्पित अपराधियों के साथ किसी भी तरह की मारपीट, गैरकानूनी पूछताछ या दुर्व्यवहार नहीं होगा। अधिकारियों ने यह भी बताया कि जरूरत पड़ने पर ऐसे हाई-प्रोफाइल कैदियों के लिए जेल परिसर में विशेष ‘सिक्योर एन्क्लेव’ तैयार किया जाएगा।
यह दौरा खास इसलिए है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में ब्रिटिश अदालतों ने तिहाड़ जेल की परिस्थितियों पर सवाल उठाए थे और कई मामलों में भारत की प्रत्यर्पण याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
लंबित पड़े हैं 178 प्रत्यर्पण अनुरोध
विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत के 178 प्रत्यर्पण अनुरोध विभिन्न देशों में लंबित हैं, जिनमें से करीब 20 केवल ब्रिटेन में हैं। इनमें ज्यादातर मामले बड़े आर्थिक अपराधों और बैंक धोखाधड़ी से जुड़े हैं।
तिहाड़ जेल प्रशासन ने ब्रिटिश टीम को जेल की सुविधाओं, सुरक्षा व्यवस्था और कैदियों के रहने-सहने की परिस्थितियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सरकार चाहती है कि अंतरराष्ट्रीय अदालतों को यह स्पष्ट संदेश जाए कि भारत में कानून व्यवस्था के तहत सभी कैदियों को सम्मान और सुरक्षा मिलेगी।
हाई-प्रोफाइल मामलों में अहम दौरा
यह निरीक्षण विजय माल्या, नीरव मोदी और संजय भंडारी जैसे आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। सरकार का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि भगोड़े चाहे जहां भी हों, उन्हें कानून के कटघरे में लाने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है।