जहां हर स्वाद सुनाता है एक कहानी !
स्वाद की विरासत BY: VIJAY NANDAN
बघेलखंड मध्यप्रदेश के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित एक सांस्कृतिक क्षेत्र है, जिसमें मुख्यतः रीवा, सतना, शहडोल, सिंगरौली, उमरिया, अनूपपुर और सीधी जिले आते हैं। यह क्षेत्र अपनी राजपूताना विरासत, लोकनृत्य, बघेली भाषा, और ग्रामीण भोजन संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।
दलभरी पुड़ी: स्वाद और ताकत का मेल
● क्या है दलभरी पुड़ी?
दलभरी पुड़ी, बघेलखंड की एक पारंपरिक तली हुई पुड़ी है जिसमें चने या उड़द की दाल की भरावन होती है। यह खासकर त्योहारों, शादी-विवाह या विशेष अवसरों पर बनाई जाती है।
●संक्षेप में बनाने की विधि
- चने या उड़द की दाल को भिगोकर पीस लिया जाता है।
- इसमें लहसुन, हरी मिर्च, हींग, अजवाइन, और नमक मिलाकर भरावन तैयार की जाती है।
- गेहूं के आटे से लोई बनाकर उसमें भरावन भरकर पुड़ी बेली जाती है।
- फिर इसे गरम तेल में कुरकुरी होने तक तला जाता है।
● खासियत:
दलभरी पुड़ी का स्वाद तीखा और चटपटा होता है। इसे आलू-टमाटर की सब्ज़ी, खट्टा-मीठा रायता या सादा दही के साथ परोसा जाता है।

गुराम: बघेलखंड की मीठी विरासत
● गुराम क्या है?
गुराम, बघेलखंड का एक पारंपरिक देसी मीठा व्यंजन है। यह मुख्य रूप से गुड़ और गेहूं के आटे से बनता है। स्वाद में यह थोड़ा हलवे जैसा होता है लेकिन इसकी बनावट और पकाने का तरीका अलग है।
● बनाने की विधि
- पहले गुड़ को पानी में उबालकर चाशनी बना ली जाती है।
- फिर उसमें धीरे-धीरे भुना हुआ आटा मिलाया जाता है।
- उसमें घी, इलायची, कभी-कभी सूखे मेवे मिलाकर गर्मागर्म परोसा जाता है।
● खासियत:
यह व्यंजन खासतौर पर सर्दियों में खाया जाता है क्योंकि इसमें ऊर्जा और गर्मी देने वाले तत्व होते हैं। यह गांवों में संध्या भोज या मेहमानों के स्वागत में परोसा जाता है।

सांस्कृतिक महत्व
दलभरी पुड़ी और गुराम, बघेलखंड की आत्मा से जुड़े हुए व्यंजन हैं। इनकी खूबी ये है कि ये स्थानीय सामग्री से बने होते हैं, लेकिन स्वाद और ऊर्जा दोनों में भरपूर होते हैं। अगर भारत की “रीजनल फूड हेरिटेज” की बात हो, तो बघेलखंड के ये पकवान उसमें खास जगह रखते हैं।