अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भक्तिभाव का माहौल चरम पर है। राम मंदिर के नवनिर्मित देवालयों में प्राण प्रतिष्ठा के पावन अनुष्ठान प्रारंभ हो चुके हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत करने का ऐतिहासिक क्षण भी है।
क्या है प्राण प्रतिष्ठा?
प्राण प्रतिष्ठा एक वैदिक प्रक्रिया है जिसमें मूर्तियों में ईश्वर की दिव्य उपस्थिति का आह्वान किया जाता है। अयोध्या में इस प्रक्रिया को पूरे वैदिक विधि-विधान से संपन्न किया जा रहा है।
पूजा अनुष्ठान की प्रमुख झलकियाँ
- आरंभ: पूजा का प्रारंभ मंगलवार सुबह 6:30 बजे हुआ।
- अवधि: यह अनुष्ठान लगातार 12 घंटे तक चल रहा है।
- पाठ: 101 पुजारियों द्वारा 1975 वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जा रहा है।
- मुख्य कर्मकांड:
- अग्नि देवता को आहुति
- मूर्ति शुद्धिकरण
- वेदी पूजन, नवग्रह पूजन, वास्तु पूजन
- यज्ञकुंड में अग्नि स्थापन
मुख्य समारोह 5 जून को: राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा
5 जून को होगा इस अनुष्ठान का प्रधान पर्व, जिसमें श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। यह कार्यक्रम शुभ मुहूर्त में कांची कामकोटि पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती की देखरेख में होगा।
- मुख्य अतिथि: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
- विशेष कार्य: राम दरबार की मूर्तियों के नेत्रोन्मीलन और भोग दर्शन
फूलों से सजे मंदिर, विद्युत सज्जा से रोशन परिसर
राम मंदिर परिसर में 8 प्रमुख देवालयों को फूलों से सजाया गया है। शिखर पर स्वर्ण जड़ित कलश की आभा दूर से ही भक्तों को मंत्रमुग्ध कर रही है। बाहरी परिसर में विलक्षण विद्युत सज्जा की गई है।
शोभायात्रा से शुरू हुआ पावन क्रम
सोमवार को सरयू तट से जल भरकर शोभायात्रा निकाली गई जो रामपथ, हनुमान गढ़ी, दशरथ महल होते हुए मंदिर परिसर में पहुँची। इसके साथ ही, नवनिर्मित देवालयों में प्रायश्चित कर्म पूजा की गई।
शामिल हैं देशभर के वैदिक आचार्य
- स्थान: काशी, प्रयाग, देवप्रयाग, दिल्ली, हरिद्वार, जम्मू, कानपुर आदि
- ऋत्विकों की संख्या: 101
- यज्ञाचार्य: जयप्रकाश त्रिपाठी (काशी), चंद्रभानु शर्मा (दिल्ली), अमरनाथ ब्रह्मा (बस्ती)
यह सभी विद्वान मिलकर प्राचीन वैदिक परंपराओं के अनुसार अनुष्ठानों का संचालन कर रहे हैं।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएँ
प्रशासन अलर्ट मोड पर
- विश्राम स्थल, छाया, पेयजल और शौचालय की समुचित व्यवस्था
- 10-10 बेड आरक्षित किए गए हैं सभी प्रमुख अस्पतालों में
- वीआईपी और आम श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा बल तैनात
- एटीएस और एसटीएफ की टीमों की भी तैनाती
भक्तों से अनुरोध
मंदिर ट्रस्ट ने स्पष्ट किया है कि 3 से 5 जून तक आमंत्रण केवल संत-महंतों और विशिष्ट व्यक्तियों को दिया गया है। आम श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे कुछ महीनों बाद मंदिर दर्शन हेतु आएँ जब निर्माण पूर्ण हो जाएगा।
विजय महामंत्र संकीर्तन: तीन दिवसीय आध्यात्मिक उत्सव
- स्थान: श्रीराम जन्मभूमि यात्री सुविधा केंद्र, प्रथम तल
- दिनांक: 3 जून से 5 जून
- समय:
- सुबह 6:30 बजे: हनुमान चालीसा
- शाम 6:30 बजे तक: विजय महामंत्र संकीर्तन
- पूर्ण आहुति: 5 जून को भजन के साथ सम्पन्नरामनगरी में अध्यात्म और आस्था का संगमरामनगरी में अध्यात्म और आस्था का संगम
रामनगरी में अध्यात्म और आस्था का संगम
अयोध्या का यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, यह भारत की आत्मा और उसकी हजारों वर्षों पुरानी परंपरा का पुनर्जागरण है। राम मंदिर में हो रहा यह प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक भावनात्मक और ऐतिहासिक क्षण है।





