by: vijay nandan
दिल्ली: राजनीति जनता की सेवा का माध्यम है…लेकिन क्या हमारे देश में यह अपराधियों का ठिकाना बन चुकी है?
क्या हम ऐसे दौर में हैं, जहाँ कानून तोड़ने वाले ही कानून बनाने बैठ गए हैं? एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 47% मंत्री आपराधिक मामलों में आरोपी हैं…लोकसभा में लगभग आधे सांसद किसी ना किसी मामले में घिरे हुए हैं। क्या लोकतंत्र के प्रहरी अब खुद ही लांछित हो गए हैं? माफ करिए लेकिन हमारे ‘माननीय’ सचमुच माननीय हैं? क्या नए बिलों से ‘राज’नीति के दाग मिटेंगे या ये सिर्फ कानूनी वादे हैं? और सबसे बड़ा सवाल– क्या अब जनता अपराधी नेताओं को टिकट देने वाली पार्टियों को सबक सिखाएगी ? यही वो सवाल हैं जो आज हम उठाने जा रहे हैं. पढ़िए से विशेष रिपोर्ट..

राजनीति दो शब्दों से बनी है, ‘राज’ यानी शासन और ‘नीति’ यानी शासन करने की कला। राजनीति जनता के सामाजिक और आर्थिक स्तर को ऊँचा करने का एक माध्यम है। लेकिन इसी राजनीति में जब ऐसी अपराधी घुसपैठ कर जाएं जो कानून भी बनाए और राज भी करें तो लोकतंत्र का क्या होगा..इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। हाल ही में ADR यानि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट सामने आई है। जो देश की राजनीतिक पार्टियों दुर्दशा दिखाने के लिए काफी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में करीब 47% मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से कुछ मामले बहुत गंभीर हैं, जिनमें हत्या, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं. यह रिपोर्ट मंत्रियों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए हलफनामों पर आधारित है. ADR ने 27 राज्यों, 3 केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के कुल 643 मंत्रियों के हलफनामों का अध्ययन किया. जिसके बाद पता चला कि 643 में से 302 मंत्री आपराधिक मामलों में आरोपी हैं. इनमें से 174 मंत्रियों पर गंभीर अपराधों के केस दर्ज हैं.

ADR रिपोर्ट: सत्ता में दागी
- देश में करीब 47% मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज
- हत्या, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर आरोप
- रिपोर्ट मंत्रियों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे हलफनामों पर आधारित
- 27 राज्यों, 3 केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के मंत्री
- कुल 643 मंत्रियों के हलफनामों का किया अध्ययन
- 643 में से 302 मंत्री आपराधिक मामलों में आरोपी
- 174 मंत्रियों पर गंभीर अपराधों के केस दर्ज
ये आंकड़े माननीय मंत्रियों के थे, अब एक नजर राजनीति दलों के दागियों पर..18वीं लोकसभा में 543 सांसदों में से 46% यानी 251 पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इनमें से 27 सांसदों को अलग-अलग अदालतों से दोषी करार दिया जा चुका है।
किस पार्टी में कितने दागी ?
सोर्स-ADR- लोकसभा चुनाव 2024
भारतीय जनता पार्टी
- बीजेपी के कुल सांसद- 240
- बीजेपी में दागी सांसद- 94
- प्रतिशत- 39%
इंडियन नेशनल कांग्रेस
- कांग्रेस के कुल सांसद- 99
- कांग्रेस के दागी सांसद-49
- प्रतिशत-49%
समाजवादी पार्टी
- सपा के कुल सांसद- 37
- सपा में दागी सांसद- 21
- प्रतिशत- 45%
तृणमूल कांग्रेस
- टीएमसी के कुल सांसद- 29
- टीएमसी में दागी सांसद- 13
- प्रतिशत- 45%
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम
- डीएमके के कुल सांसद- 22
- डीएमके में दागी सांसद- 13
- प्रतिशत- 59%
तेलगुदेशम पार्टी
- टीडीपी के कुल सांसद- 16
- टीडीपी में दागी सांसद- 8
- प्रतिशत- 50%
शिवसेना (शिंदे)
- शिवसेना के कुल सांसद- 7
- शिवसेना में दागी सांसद- 5
- प्रतिशत- 71%
ये रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब केंद्र सरकार ने संसद में नए बिल पेश किए हैं. इन बिलों में कहा गया है कि
अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर आपराधिक मामले में 30 दिन के लिए जेल जाते
हैं, तो उन्हें उनके पद से हटा दिया जाएगा.
कानून अपनी जगह है लेकिन राजनीति का अपराधीकरण सिर्फ एक कानूनी विसंगति नहीं है. यह एक नैतिक संकट है जो लोकतंत्र के मूल तत्व को ही कमजोर कर रहा है। जब कानून तोड़ने वाले ही कानून बनाने वाले बन जाते हैं, तो कानून का शासन कमजोर होना और संस्थाओं में जनता का विश्वास कम होना लाजिमी है। क्या अब समय नहीं आ गया है कि राजनीतिक दल अपनी सत्ता लालसा से ऊपर उठकर अपराधी उम्मीदवारों को टिकट न देने की इच्छाशक्ति दिखाएं। क्या न्यायपालिका और चुनाव आयोग को भी सख्ती के साथ राजनीतिक दलों पर जवाबदेही लागू करने की जरूरत नहीं है. लेकिन सबसे बढ़कर, जिम्मेदारी जनता जनार्दन की है। जनता का वोट स्वच्छ और ईमानदार छवि वाले उम्मीदवार के लिए होना चाहिए ना कि लालच और प्रलोभन देने वाले अपराधी कैंडिडेट के लिए..अब तय जनता को भी करना है।