BY: Yoganand Shrivastva
इंदौर | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को इंदौर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की पुस्तक कृपा सार का विमोचन किया। यह कार्यक्रम नर्मदा खंड सेवा संस्थान द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल समेत कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
“श्रद्धा और विश्वास ही जीवन का आधार”
मोहन भागवत ने कार्यक्रम में कहा कि भारत की संस्कृति श्रद्धा और विश्वास पर आधारित है। उन्होंने कहा:
“आज दुनिया में संघर्ष का मूल कारण अहंकार और स्वार्थ है। हर व्यक्ति यही सोचता है कि मैं आगे बढ़ूं, दूसरा नहीं। यही मानसिकता टकराव पैदा करती है। दुनिया को शांति का संदेश भारत की परंपरा दे सकती है।”
भागवत ने बताया कि भारतीय संस्कृति में श्रद्धा केवल काल्पनिक नहीं, बल्कि अनुभवजन्य है। उन्होंने कहा कि अगर कोई इसे समझने का प्रयास करे तो प्रत्यक्ष प्रमाण मिल सकते हैं। भारतीय परंपरा में श्रद्धा और विश्वास को भवानी-शंकर का रूप दिया गया है।
#WATCH | Indore, Madhya Pradesh | RSS chief Mohan Bhagwat says, "There are clashes in the world if 'Bhagwan' is one or many. Our philosophers say that there is no need to get into such clashes; there is only 'Bhagwan'. No one else. All clashes became useless then… Our lives are… pic.twitter.com/2r57ah6YKt
— ANI (@ANI) September 14, 2025
जीवन एक नाटक, आत्मा ही वास्तविक पहचान
भागवत ने कहा कि आज दुनिया में हर कोई किसी न किसी रूप से “गला और जेब काटने” का काम कर रहा है, जबकि पहले यह काम केवल दर्जियों के लिए कहा जाता था। उन्होंने कहा:
“ज्ञान और कर्म दोनों का संतुलन जरूरी है। केवल ज्ञानवान होकर निष्क्रिय रहना सही नहीं। जीवन एक नाटक की तरह है, जहां हर किसी को अपनी भूमिका निभानी होती है, लेकिन अंततः आत्मा ही वास्तविक पहचान है।”
प्रहलाद पटेल ने साझा किए नर्मदा परिक्रमा के अनुभव
पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने अपनी पुस्तक कृपा सार के पीछे की प्रेरणा साझा की। उन्होंने कहा कि उन्होंने इसे पहले प्रकाशित करने से इनकार कर दिया था क्योंकि उनका उद्देश्य नर्मदा को “बेचना” नहीं था। पटेल ने बताया कि उनकी 30 वर्षों में दो बार नर्मदा परिक्रमा हुई है, और यह पुस्तक उन अनुभवों का संग्रह है। उन्होंने कहा कि इसकी आमदनी गौसेवा और परिक्रमा यात्रियों के कल्याण पर खर्च की जाएगी।
नर्मदा परिक्रमा का आध्यात्मिक महत्व
स्वामी ईश्वरनंद ने नर्मदा परिक्रमा को आध्यात्मिक अनुभव बताते हुए कहा कि यह यात्रा पंचतत्वों (जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी) से जुड़ने का अद्भुत अवसर है। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि राजनीति में भी ऊंचाई तक पहुंचने के लिए परिक्रमा करनी पड़ती है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद
इस अवसर पर डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विश्वास सारंग, राकेश शुक्ला, चैतन्य काश्यप, तुलसीराम सिलावट, इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक गोलू शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन समेत कई जनप्रतिनिधि और शहीद परिवार मौजूद थे।