BY: Yoganand Shrivastva
इटावा (उत्तर प्रदेश) — एक धार्मिक आयोजन में सम्मान की जगह अपमान, और कथा वाचन की जगह जातीय विवाद! यूपी के इटावा जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने न सिर्फ धर्म-समाज को हिला दिया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी जहर घोलने का काम किया। अब इस कथित अपमानजनक घटना के केंद्र में रहीं पंडिताइन रेनू तिवारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है, जिसने इस पूरे मामले में एक नया मोड़ ला दिया है।
रेनू तिवारी के खिलाफ क्यों हुई कार्रवाई?
दांदरपुर गांव में कथावाचक विवाद के बाद रेनू तिवारी द्वारा सोशल मीडिया पर जाति विशेष के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी अब उनके लिए कानूनी मुसीबत बन चुकी है। बकेवर थाना में उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धाराएं 196, 299, 352 बीएनएस और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
पुलिस का कहना है कि रेनू तिवारी द्वारा जानबूझकर सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुँचाने वाला कंटेंट सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया, जिसके चलते स्थिति और अधिक भड़क सकती थी। सूत्रों के मुताबिक, समाजवादी पार्टी के डेलीगेशन ने एसएसपी से मुलाकात कर रेनू तिवारी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की मांग की थी, जिसके बाद यह एफआईआर दर्ज की गई।
क्या था इटावा कथावाचक कांड?
इस पूरे विवाद की शुरुआत हुई 21 जून 2025 को, जब बकेवर थाना क्षेत्र के दांदरपुर गांव में चल रही भागवत कथा के दौरान कथावाचक मुकुट मणि यादव और सहयोगी संत सिंह यादव के साथ जातिगत आधार पर हिंसक व्यवहार किया गया।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कथावाचकों ने अपनी जाति छिपाकर खुद को ब्राह्मण बताया। इसके बाद कथावाचकों की पिटाई की गई, उनकी चोटी काट दी गई, और यहां तक कि एक महिला यजमान के पैर पकड़ने और नाक रगड़ने के लिए मजबूर किया गया। इस पूरी घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पूरे इलाके में सामाजिक तनाव फैल गया।
आरोप और प्रत्यारोप: कौन क्या कह रहा है?
- कथावाचकों का दावा है कि उनकी जाति पूछे जाने पर यादव बताने के बाद उनके साथ भेदभाव और हिंसा की गई।
- वहीं आयोजक जय प्रकाश तिवारी और उनकी पत्नी, जो इस कथा के परीक्षित थे, ने कथावाचकों पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है।
पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायतों के आधार पर अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए हैं और मामले की गहन जांच जारी है।
अब तक की कार्रवाई:
- कथित हिंसा में शामिल कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
- रेनू तिवारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद मामला और अधिक संवेदनशील हो गया है।
- पुलिस ने फिलहाल इस मामले पर मीडिया को कोई आधिकारिक बयान देने से इनकार कर दिया है।
जाति, धर्म और सम्मान की जमीनी लड़ाई, जिसने एक धार्मिक आयोजन को बना दिया विवाद का अखाड़ा
इटावा की यह घटना केवल एक कथा स्थल पर घटित विवाद नहीं, बल्कि भारत के ग्रामीण समाज में गहराई तक बैठी जातीय संरचनाओं और सामाजिक तनावों का आईना है। सवाल उठता है — क्या धर्म के मंच पर भी अब जाति का भेदभाव पैर पसार चुका है?
यह मामला सिर्फ पुलिस की फाइलों में नहीं, सोशल मीडिया और समाज के भीतर भी लंबी बहस छेड़ने वाला है।