BY: Yoganand Shrivastva
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी संघर्ष के बीच एक चौंकाने वाला आरोप फिर सुर्खियों में है। फिलिस्तीनी अधिकारियों और गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि भोजन लेने निकले निहत्थे फिलिस्तीनियों पर इजरायली सैनिकों ने गोलीबारी की, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। इन आरोपों में यह भी कहा गया कि यह कार्रवाई प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के आदेश पर हुई थी।
नेतन्याहू ने क्या कहा?
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि यह “सफेद झूठ” और “भ्रामक प्रचार” है। उन्होंने दावा किया कि इस तरह की खबरों को जानबूझकर सेना की छवि धूमिल करने के लिए फैलाया जा रहा है। उनके साथ-साथ रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने भी इन आरोपों को गलत बताते हुए इसे “राजनीतिक दुर्भावना” का परिणाम करार दिया।
‘हारेत्ज़’ की रिपोर्ट से मचा था हंगामा
इजरायल के वामपंथी अखबार ‘हारेत्ज़’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली सैनिकों को कथित रूप से आदेश दिया गया था कि वे गाजा में भोजन वितरण केंद्रों की ओर जाने वाले फिलिस्तीनियों को रोकें, और जरूरत पड़ने पर गोली भी चलाएं। यही खबर बाद में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गई।
गवाहों और गाजा प्रशासन का पक्ष
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि गाजा मानवीय फाउंडेशन द्वारा भोजन वितरण शुरू करने के बाद से 500 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकतर नागरिक थे। वहीं स्थानीय गवाहों का दावा है कि सहायता स्थलों की ओर जाने वाली भीड़ पर सड़कों पर ही फायरिंग की गई, जिससे भगदड़ मच गई और कई लोग मारे गए।
इजरायली सेना का जवाब
सेना ने इन आरोपों को झूठा और भ्रामक बताया है। उन्होंने कहा कि “जानबूझकर आम नागरिकों पर गोली चलाने” जैसा कोई आदेश नहीं दिया गया। हालांकि सेना ने यह स्वीकार किया कि कुछ घटनाओं की जांच चल रही है, जहां सहायता स्थलों के आसपास आम लोगों को नुकसान पहुंचा हो सकता है।
क्या कहती है अंतरराष्ट्रीय बिरादरी?
इन घटनाओं के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इजरायल पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगे हैं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य संस्थाएं भी गाजा में बिगड़ते हालात पर नजर बनाए हुए हैं और स्वतंत्र जांच की मांग कर रही हैं।