आपातकाल 1975: लोकतंत्र पर हमले ने गढ़े भारत के सबसे बड़े नेता

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25 जून 1975

25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काले धब्बे की तरह दर्ज है। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल (Emergency) लगाने की घोषणा की। इसके साथ ही देशवासियों के मौलिक अधिकारों को सस्पेंड कर दिया गया। ना अभिव्यक्ति की आजादी बची, ना जीवन जीने का हक। विपक्षी नेताओं की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुईं, प्रेस पर सख्त सेंसरशिप लगाई गई और प्रशासन का दमनचक्र पूरे जोर पर था।

लेकिन इस अंधकारमय दौर में कुछ ऐसे नेता भी सामने आए, जिन्होंने इमरजेंसी का डटकर विरोध किया और भारतीय राजनीति में अपना कद कई गुना बढ़ा लिया। आइए जानते हैं उन नेताओं के बारे में जिनकी राजनीति ने आपातकाल के बाद नई उड़ान भरी।


आपातकाल की पृष्ठभूमि: कैसे शुरू हुआ यह दौर?

  • 5 जून 1975 की रात से ही विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियां शुरू हो गई थीं।
  • देशभर में हजारों लोगों को जेल में ठूंस दिया गया, यहां तक कि जेलों में जगह कम पड़ गई।
  • मीडिया पर कड़ा पहरा बैठा दिया गया, हर अखबार में सेंसर अधिकारी तैनात किए गए।
  • सरकार के खिलाफ खबर छापने पर संपादकों और पत्रकारों की गिरफ्तारी होती थी।
  • 21 महीने बाद, 21 मार्च 1977 को आपातकाल समाप्त हुआ और देश में आम चुनाव हुए।

आपातकाल में उभरने वाले प्रमुख नेता

1. लालकृष्ण आडवाणी

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी उस दौर में इमरजेंसी विरोध का बड़ा चेहरा बने।

  • 19 महीने जेल में रहे।
  • गुजरात में कांग्रेस विरोधी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
  • अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर राष्ट्रीय राजनीति में प्रभावशाली पहचान बनाई।
  • चार बार राज्यसभा और पांच बार लोकसभा सांसद रहे।
  • वर्तमान में बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं, लेकिन सक्रिय राजनीति से दूरी बनाई है।

2. लालू प्रसाद यादव

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने छात्र राजनीति छोड़ जेपी आंदोलन में कूद पड़े।

  • आपातकाल में गिरफ्तार होकर 1977 तक जेल में रहे।
  • जेल में रहते हुए उनकी बेटी का जन्म हुआ, जिसका नाम ‘मीसा भारती’ रखा गया।
  • 29 वर्ष की उम्र में देश के सबसे युवा सांसद बने।
  • बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं।
  • वर्तमान में आरजेडी अध्यक्ष हैं।

3. सुब्रमण्यम स्वामी

सुब्रमण्यम स्वामी ने इंदिरा गांधी के खिलाफ मोर्चा खोलने की कीमत अपनी नौकरी गंवाकर चुकाई।

  • 1972 में आईआईटी दिल्ली से बाहर कर दिए गए।
  • पुलिस गिरफ्तारी से बचने के लिए अमेरिका भाग गए।
  • हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बने और वहां से इमरजेंसी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुहिम चलाई।
  • चुपके से भारत आकर 10 अगस्त 1976 को संसद में उपस्थिति दर्ज कराई और फिर अमेरिका लौट गए।
  • जनता पार्टी और बीजेपी में अहम भूमिका निभाई, वर्तमान में बीजेपी में हाशिये पर हैं।

4. नीतीश कुमार

बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तार हुए।

  • भोजपुर से गिरफ्तार कर मीसा कानून के तहत नजरबंद किया गया।
  • इसके बाद राजनीति में पहचान मिली।
  • 1994 में जॉर्ज फर्नांडिस के साथ समता पार्टी बनाई, जो बाद में जेडीयू में विलय हो गई।
  • 2005 से बीजेपी के सहयोग से बिहार के मुख्यमंत्री बने और अब भी सत्ता में हैं।

वो नेता जिन्होंने इतिहास रचा, लेकिन अब हमारे बीच नहीं

1. जयप्रकाश नारायण (जेपी)

आपातकाल विरोध की सबसे बड़ी आवाज जेपी आंदोलन से गूंजी।

  • संपूर्ण क्रांति का नारा दिया।
  • पूरे देश में आंदोलन खड़ा किया।

2. अटल बिहारी वाजपेयी

  • 18 महीने जेल में रहे।
  • 1977 में विदेश मंत्री बने।
  • तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने।
  • 2015 में भारत रत्न से सम्मानित।
  • 2018 में उनका निधन हुआ।

3. मुलायम सिंह यादव

  • 15 साल की उम्र में राजनीति में आए।
  • इमरजेंसी में जेल गए।
  • 1977 में यूपी सरकार में मंत्री बने।
  • तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे।
  • केंद्र में रक्षा मंत्री बने।
  • 2022 में निधन हुआ।

4. अन्य प्रमुख चेहरे

  • शरद यादव, चंद्रशेखर, रामविलास पासवान, चौधरी चरण सिंह, मोरारजी देसाई जैसे नेता भी इमरजेंसी से निकले और देश की राजनीति में नई ऊंचाईयों तक पहुंचे।
  • मोरारजी देसाई 1977 में पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने।
  • उनके बाद चौधरी चरण सिंह भी प्रधानमंत्री बने।

निष्कर्ष: आपातकाल की काली रात और लोकतंत्र के दीये

आपातकाल भले ही भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला था, लेकिन इसी दौर ने कई मजबूत नेताओं को गढ़ा। इन नेताओं ने न सिर्फ आपातकाल का विरोध किया बल्कि बाद में भारत के लोकतंत्र को नई दिशा भी दी।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q. भारत में आपातकाल कब लगा था?
25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक।

Q. आपातकाल के दौरान किस नेता की सबसे अहम भूमिका रही?
जेपी आंदोलन के जरिए जयप्रकाश नारायण सबसे बड़ा चेहरा बने।

Q. आपातकाल में प्रेस की क्या स्थिति थी?
प्रेस पर सेंसरशिप लागू थी, सरकार के खिलाफ खबर छापने पर गिरफ्तारी होती थी।

Q. क्या लालू यादव आपातकाल में जेल गए थे?
जी हां, उन्हें 1975 में गिरफ्तार किया गया और 1977 तक जेल में रहे।


निष्कर्ष

भारत के इतिहास में आपातकाल एक ऐसा दौर था जिसने लोकतंत्र की असल अहमियत लोगों को समझाई। साथ ही, इसने कई कद्दावर नेताओं को जन्म दिया, जिन्होंने आगे चलकर देश की राजनीति में बड़ा बदलाव लाया।

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