पाकिस्तान की नींव रखने वाले मोहम्मद अली जिन्ना को वहां ‘कायदे-आजम’ कहा जाता है। लेकिन जिन्ना को लेकर एक दिलचस्प सवाल अक्सर उठता है—क्या शराब पीने और पोर्क खाने वाले जिन्ना को मुसलमानों ने कैसे अपना नेता माना? इसका जवाब कहीं न कहीं ‘वक्फ’ की बहस में भी छुपा है।
वक्फ क्या होता है?
सीधे शब्दों में कहें तो वक्फ का मतलब है—धार्मिक या सामाजिक उद्देश्य के लिए संपत्ति या धन का दान। इस्लामी कानून के तहत कोई भी व्यक्ति अपनी ज़मीन, इमारत, कैश या अन्य चल-अचल संपत्ति वक्फ कर सकता है। एक बार वक्फ करने के बाद वह संपत्ति ‘अल्लाह की संपत्ति’ मानी जाती है।
वक्फ मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
- पब्लिक वक्फ: मस्जिद, मदरसा, अस्पताल, स्कूल जैसे जनहित के संस्थान।
- प्राइवेट वक्फ: परिवार या वारिसों के लाभ के लिए, ताकि संपत्ति सुरक्षित रह सके।
यह कुछ-कुछ आज के ट्रस्ट सिस्टम जैसा है, जहां लोग कानूनी उलझनों और टैक्स से बचने के लिए संपत्ति ट्रस्ट में डाल देते हैं।
कैसे जिन्ना वक्फ विवाद में चमके?
19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश भारत में एक केस हुआ—‘अब्दुल फता मोहम्मद बनाम रसोमई धर्मुल्लाह’, जिसमें प्राइवेट वक्फ को गैर-कानूनी बताया गया। मुसलमानों में हड़कंप मच गया।
अल-मामून सोहरावर्दी, जो तुर्की और मिस्र जाकर इस्लामी ग्रंथ और फतवे लेकर आए, यह साबित करने में लगे कि प्राइवेट वक्फ इस्लाम में वैध है। लेकिन अंग्रेज़ सरकार टस से मस नहीं हुई।
तभी वकील मोहम्मद अली जिन्ना ने 1906 में अंग्रेज़ कानून पर सवाल उठाया कि,
“अगर कोई शख्स अपने बच्चों के लिए वक्फ नहीं बना सकता, तो वह उनके भविष्य की सुरक्षा कैसे करेगा?”
जिन्ना ने तीन साल की लड़ाई के बाद ‘मुस्लिम वक्फ वैलिडेटिंग बिल 1913’ पास करवाया। इसके बाद जिन्ना मुस्लिम समुदाय में हीरो बन गए और धीरे-धीरे मुस्लिम लीग के शीर्ष नेता भी।
पाकिस्तान में वक्फ सिस्टम की शुरुआत
1947 में पाकिस्तान बनने के बाद वक्फ की संपत्तियों पर भी राजनीतिक खेल शुरू हो गया।
- 1951 में ‘पंजाब मुस्लिम औकाफ एक्ट’ के जरिए वक्फ संपत्ति पर सरकारी निगरानी शुरू हुई।
- 1958 में जनरल अयूब खान ने सत्ता संभाली और पीरों-सज्जाद नशीनों की ताकत कम करने के लिए
‘वेस्ट पाकिस्तान वक्फ प्रॉपर्टीज ऑर्डिनेंस 1959’ लागू किया। - इसके तहत सरकार ने बड़ी संख्या में दरगाहों और धार्मिक संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया।
पाकिस्तान में वक्फ की वर्तमान स्थिति
पाकिस्तान में वक्फ संपत्ति दो मुख्य सरकारी संस्थाओं के तहत आती है:
1. औकाफ विभाग
हर सूबे में औकाफ डिपार्टमेंट है, जैसे पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान आदि।
पंजाब औकाफ विभाग के पास:
- 74,964 एकड़ जमीन
- 6,000+ दुकानें
- 1,400+ मकान
सिंध औकाफ विभाग के पास:
- 10,823 एकड़ जमीन
- हजारों दुकानें, फ्लैट्स, गोदाम
2. इवाकुई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB)
यह विभाग उन संपत्तियों को देखता है जो बंटवारे के समय हिंदू और सिख छोड़कर चले गए।
इसके पास:
- 1,99,000 एकड़ से अधिक जमीन
- 15,619 दुकानें, मकान, ऑफिस आदि
वक्फ में भ्रष्टाचार और विवाद
सरकारी नियंत्रण के बावजूद वक्फ संपत्तियों में जमकर घोटाले हुए:
- 1994: ‘मलिक असलम परवेज बनाम पंजाब’ केस में वक्फ की जमीन औकाफ अधिकारियों को 99 साल के लिए ₹1 प्रति मरला के हिसाब से लीज पर दे दी गई।
- मोहम्मद हाशिम बनाम पंजाब केस में स्कूल के लिए दी गई वक्फ जमीन पर पेट्रोल पंप खोल दिया गया।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर मोहम्मद जुबैर अब्बासी के मुताबिक ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं, जहां वक्फ संपत्ति औने-पौने दाम पर बांटी गई।
वक्फ आमदनी का कहां होता है इस्तेमाल?
रिसर्च के अनुसार, पाकिस्तान में वक्फ आमदनी का वितरण कुछ इस प्रकार होता है:
- 59% प्रशासनिक खर्चों में
- 11.7% स्वास्थ्य और समाज सेवा में
- 6.7% शिक्षा और धार्मिक गतिविधियों में
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि धार्मिक मतभेदों के चलते कई दरगाहें हमले का शिकार हुईं, जैसे:
- लाहौर की दाता दरबार
- कराची की अब्दुल्ला शाह की मजार
- पेशावर का रहमान बाबा का मजार
कुछ सफल वक्फ मॉडल्स की मिसाल
हालांकि भ्रष्टाचार के बावजूद कुछ वक्फ संस्थान बेहतरीन काम कर रहे हैं:
1. हमदर्द पाकिस्तान
1953 में हकीम मोहम्मद सईद ने इसे वक्फ घोषित किया।
आज इसमें शामिल हैं:
- हमदर्द लेबोरेटरीज (यूनानी दवाइयां)
- हमदर्द फाउंडेशन (समाज सेवा)
- मदीना-तुल-हिकमा (शिक्षा-संस्कृति केंद्र)
हमदर्द का 85% मुनाफा फाउंडेशन में जाता है। देशभर में 500 से अधिक मेडिकल सेंटर भी चलते हैं।
2. एहसान वक्फ
यह एक माइक्रो फाइनेंस मॉडल है, जो ब्याज मुक्त लोन और छात्रवृत्ति प्रदान करता है।
अब तक 20,000 से अधिक छात्रों ने उच्च शिक्षा पाई है।
कैश वक्फ: वक्फ का नया रूप
पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देशों में ‘कैश वक्फ’ का चलन बढ़ा है, जिसमें:
- लोग अपनी चल संपत्ति (कैश, गाड़ी, जेवर) वक्फ करते हैं।
- शेयर मॉडल के तहत पैसा इन्वेस्ट होता है और उसका फायदा जरूरतमंदों को मिलता रहता है।
मलेशिया, इंडोनेशिया, कुवैत में भी यह मॉडल सफल रहा है।
क्या दुनिया में वक्फ सिस्टम खत्म हो रहा है?
कई लोगों का मानना है कि मुस्लिम देशों में वक्फ नहीं है, पर सच्चाई यह है:
- सऊदी अरब: 2030 तक वक्फ के जरिए 8,000 अरब रुपये निवेश का लक्ष्य।
- तुर्की: वक्फ मंत्रालय के तहत संपत्ति प्रबंधन।
- जॉर्डन, लीबिया, सीरिया, मिस्र, इराक: वक्फ संपत्ति सरकारी निगरानी में।
निष्कर्ष: वक्फ, नेतृत्व और राजनीति की जटिल गाथा
वक्फ धर्म, समाज, राजनीति और सत्ता का ऐसा ताना-बाना है, जो सही हाथों में हो तो समाज बदल सकता है, गलत हाथों में जाए तो भ्रष्टाचार और विवाद का जरिया बन जाता है। यही कारण है कि पाकिस्तान में वक्फ की कहानी भी उम्मीद, विवाद और सबक का मिला-जुला चेहरा है।