BY: MOHIT JAIN
ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर अमृत भारत उन्नयन योजना के तहत बनाए गए फुट ओवरब्रिज (एफओबी) की सीढ़ियां यात्रियों के लिए मुसीबत बन गई हैं। ये सीढ़ियां न केवल संकरी हैं बल्कि इतनी खड़ी बनाई गई हैं कि रोज़ाना हजारों यात्री इन्हें चढ़ने-उतरने में परेशान होते हैं।
मामले की शिकायत कई बार जिला विकास समन्वय निगरानी समिति (दिशा) की बैठकों में उठ चुकी है। सांसद और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तक ने अधिकारियों को चौड़ाई बढ़ाने के निर्देश दिए, लेकिन स्थिति जस की तस है।
अधिकारियों का अजीब तर्क: “20% ही करेंगे उपयोग”
रेलवे अधिकारियों ने कंस्ट्रक्शन कंपनी केपीसी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को बचाने के लिए एक अजीब दलील दी है। उनका कहना है कि कॉनकोर्स बनने के बाद केवल 20% यात्री ही प्लेटफार्म बदलने के लिए पैदल पुल का उपयोग करेंगे।
यानी 50 हज़ार यात्रियों की क्षमता वाले स्टेशन पर बाकी लोग दूसरी सुविधाओं से प्लेटफॉर्म बदलेंगे। यही वजह बताकर सीढ़ियों में सुधार की जरूरत को नकारा जा रहा है।
बार-बार उठे सवाल, लेकिन हल नहीं
- 5 अप्रैल की बैठक: समिति सदस्यों ने पहली बार संकरी और ऊंची सीढ़ियों का मुद्दा उठाया। निर्देश दिए गए कि इन्हें ठीक कराया जाए।
- 11 सितंबर की बैठक: फिर से सवाल उठे कि अब तक सुधार क्यों नहीं हुआ। अधिकारियों ने जवाब दिया—पैदल पुल स्वीकृत नक्शे के अनुसार बना है।
- 15 सितंबर निरीक्षण: केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने भी चौड़ाई बढ़ाने के आदेश दिए। लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई।

समिति की आपत्तियां और अधिकारियों का बचाव
समिति का कहना है कि उनका सवाल केवल सीढ़ियों की चौड़ाई और ऊंचाई को लेकर था। लेकिन अधिकारियों ने जवाब में कॉनकोर्स और भविष्य की यात्री संख्या का हवाला देकर मुद्दे से बचने की कोशिश की। इससे स्पष्ट है कि रेलवे प्रबंधन कंस्ट्रक्शन कंपनी की कमियों को छिपा रहा है।
आगे क्या होगा?
रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर सुधीर कुमार पटेल का कहना है कि सीढ़ियों पर सर्वे कराया जा रहा है और रिपोर्ट आने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। हालांकि यात्रियों की लगातार बढ़ती दिक्कतों को देखते हुए सवाल उठ रहा है कि सुधार कब तक टाला जाएगा।
ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर सीढ़ियों की चौड़ाई का यह विवाद सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा से जुड़ा मामला है। बार-बार निर्देशों और आश्वासनों के बावजूद कार्रवाई न होना यात्रियों की परेशानी को और बढ़ा रहा है। अब सबकी नजरें आने वाली सर्वे रिपोर्ट और उस पर लिए जाने वाले फैसले पर टिकी हैं।