BY: Yognanad Shrivastva
शिमला, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली क्षेत्र में स्थित मस्जिद को लेकर वर्षों से चल रहे विवाद पर अदालत ने आज निर्णायक फैसला सुनाया है। नगर निगम की कमिश्नर कोर्ट ने इस मस्जिद के समूचे ढांचे को अवैध करार देते हुए इसे पूरी तरह से ध्वस्त करने का निर्देश दिया है।
बिना अनुमति बना पूरा ढांचा
कोर्ट के मुताबिक, मस्जिद का निर्माण न तो वैध अनुमति से हुआ था, न ही किसी अधिकृत नक्शे की स्वीकृति ली गई थी। यहां तक कि ज़रूरी एनओसी भी नगर निगम से प्राप्त नहीं की गई। एमसी कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि मस्जिद का कोई भी हिस्सा कानूनी रूप से वैध नहीं है और इसे हटाना आवश्यक है।
पहले भी आ चुका है आंशिक तोड़फोड़ का आदेश
इससे पूर्व, 5 अक्टूबर 2024 को कोर्ट द्वारा मस्जिद की दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिल को हटाने का आदेश दिया गया था। अब अदालत ने ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर को भी अवैध घोषित कर दिया है, जिससे पूरा ढांचा ध्वस्त किया जाना तय हो गया है।
वक्फ बोर्ड साबित नहीं कर पाया मालिकाना हक
इस केस की सुनवाई के दौरान हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड यह साबित करने में असमर्थ रहा कि उसके पास जमीन पर वैध मालिकाना अधिकार है। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि बोर्ड के पास संपत्ति से संबंधित कोई वैध दस्तावेज या नगर निगम से प्राप्त एनओसी नहीं है। बोर्ड की तरफ से अब तक न टैक्स भुगतान से संबंधित प्रमाण पेश किए गए और न ही निर्माण की अनुमति से जुड़ी कोई वैध जानकारी उपलब्ध कराई गई।
स्थानीय प्रदर्शन और विवाद की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि शिमला के ढली क्षेत्र में हाल ही में हिंदू संगठनों ने इस मस्जिद के निर्माण को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। यह मामला पिछले 15 वर्षों से विवादों में रहा है और अब कोर्ट के फैसले के बाद नगर निगम जल्द ही बुलडोजर कार्रवाई को अंजाम दे सकता है।
फैसले की कानूनी प्रक्रिया
स्थानीय लोगों की ओर से मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता जगत पाल ने बताया कि यह निर्णय हिमाचल हाई कोर्ट के निर्देशानुसार नगर निगम कमिश्नर को छह हफ्तों के भीतर फैसला सुनाने की प्रक्रिया का हिस्सा था। आज का निर्णय उसी कानूनी प्रक्रिया का अंतिम निष्कर्ष है।
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