BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली : भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की पूर्व प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर को सर्वोच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत प्रदान करते हुए दिल्ली पुलिस को जांच में उनका सहयोग लेने के निर्देश दिए हैं। यह मामला सिविल सेवा परीक्षा में कथित धोखाधड़ी, फर्जी आरक्षण लाभ और गलत सूचनाएं देने से जुड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी – “वह न माफिया हैं, न आतंकी, न NDPS आरोपी”
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की दो-न्यायाधीशीय पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा:
“पूजा खेडकर ने कौन-सा ऐसा अपराध किया है, जो उन्हें जमानत से वंचित रखा जाए? वह न कोई मादक पदार्थ माफिया हैं, न आतंकवादी और न ही हत्या जैसी धारा 302 के अंतर्गत आरोपी।”
पीठ ने यह भी कहा कि:
“उनके खिलाफ आरोपों की जांच जरूर होनी चाहिए, लेकिन इसके लिए उन्हें जेल में रखना जरूरी नहीं। वह पहले ही अपनी नौकरी खो चुकी हैं और उनका करियर दांव पर लग चुका है।”
क्या हैं पूजा खेडकर पर आरोप?
पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने 2022 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा में OBC और दिव्यांग कोटे का अनुचित रूप से लाभ लेने के लिए गलत दस्तावेज और जानकारी दी। उनके खिलाफ यह भी दावा किया गया है कि उन्होंने फर्जी पहचान से परीक्षा प्रक्रिया में हिस्सा लिया।
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में उनके खिलाफ कई धाराओं में FIR दर्ज की है। UPSC ने भी उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी थी और अब यह मामला आपराधिक जांच के दायरे में है।
दिल्ली पुलिस का विरोध
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के वकील ने अग्रिम जमानत दिए जाने का विरोध किया। उनका कहना था कि पूजा खेडकर जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं और उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं। पुलिस ने यह भी तर्क दिया कि यदि उन्हें अग्रिम जमानत दी जाती है, तो वह सबूतों को प्रभावित कर सकती हैं।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट इस तर्क से सहमत नहीं हुआ और कहा कि उनके मामले में गिरफ्तारी आवश्यक प्रतीत नहीं होती, बशर्ते वह जांच में पूरा सहयोग करें।
पूजा खेडकर का पक्ष
पूजा खेडकर की ओर से अदालत में यह दलील दी गई कि उन्होंने किसी भी प्रकार की जानबूझकर धोखाधड़ी नहीं की है। सभी दस्तावेज उन्हीं के नाम पर हैं और उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है। उन्होंने सभी आरोपों का खंडन किया है।
क्या है आगे की प्रक्रिया?
सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेडकर को जमानत पर रिहा करने की सिफारिश दिल्ली हाईकोर्ट को भेज दी है और कहा है कि जांच एजेंसियां तय प्रक्रिया के तहत पूछताछ करें। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि किसी भी तरह की गिरफ्तारी की स्थिति में खेडकर को अग्रिम जमानत का संरक्षण प्राप्त रहेगा।