जब भी भारत में विज्ञान, शिक्षा और उद्योग के संगम की बात होती है, तो प्रोफेसर मंकीलाल मंगालदास शर्मा यानी एम. एम. शर्मा का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने रासायनिक अभियांत्रिकी (Chemical Engineering) के क्षेत्र में भारत को वैश्विक पहचान दिलाई और सैकड़ों छात्रों के जीवन को दिशा दी, जिनमें एक नाम है देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी का।
इस लेख में जानिए प्रोफेसर शर्मा का प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, वैज्ञानिक योगदान, उनके सम्मान, और मुकेश अंबानी से उनके विशेष संबंध।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- पूरा नाम: मंकीलाल मंगालदास शर्मा
- जन्म: 8 मई 1937
- जन्म स्थान: जोधपुर, राजस्थान, भारत
एक सामान्य परिवार से आने वाले एम. एम. शर्मा बचपन से ही मेधावी थे। उन्हें गणित और रसायन शास्त्र में गहरी रुचि थी।
- उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
- उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड के इंपीरियल कॉलेज लंदन गए, जहाँ उन्होंने रासायनिक अभियांत्रिकी में Ph.D. की डिग्री प्राप्त की।
भारत वापसी और शिक्षण करियर की शुरुआत
पीएचडी पूरी करने के बाद प्रोफेसर शर्मा ने भारत लौटकर Institute of Chemical Technology (ICT), मुंबई (पूर्व में UDCT) में शिक्षण कार्य शुरू किया। यहीं से उन्होंने भारत में रासायनिक अभियांत्रिकी को नई दिशा दी।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
- ICT के डायरेक्टर बने और संस्थान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
- छात्रों में वैज्ञानिक सोच, नवाचार और अनुसंधान की संस्कृति विकसित की।
- ICT को भारत के अग्रणी वैज्ञानिक संस्थानों की सूची में लाकर खड़ा किया।
मुकेश अंबानी और प्रो. एम. एम. शर्मा का संबंध
1970 के दशक में जब मुकेश अंबानी ICT में केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, तब प्रोफेसर शर्मा उनके शिक्षक थे।
यह रिश्ता सिर्फ शिक्षक-छात्र का नहीं था:
- अंबानी ने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा है कि प्रो. शर्मा उनके सबसे प्रेरणादायक गुरुओं में से एक हैं।
- उन्होंने मुकेश अंबानी को केवल तकनीकी ज्ञान ही नहीं, बल्कि समस्या सुलझाने की वैज्ञानिक सोच, औद्योगिक नजरिया, और गहराई से शोध करने की समझ दी।
- बाद में, अंबानी ने ICT को वित्तीय और तकनीकी सहायता दी, जिनमें कई प्रयोगशालाएं प्रो. शर्मा के नाम पर समर्पित की गईं।
वैज्ञानिक योगदान और शोध कार्य
प्रोफेसर शर्मा का अनुसंधान भारत की औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगति में मील का पत्थर साबित हुआ।
उनके शोध के प्रमुख क्षेत्र:
- Multiphase Reactions (बहुफेज़ी रासायनिक प्रक्रियाएं)
- Gas-Liquid Interaction (गैस-तरल संपर्क प्रक्रिया)
- Chemical Process Design और Optimization
- Energy Efficient Reactor Design (ऊर्जा-कुशल रिएक्टर सिस्टम)
उपलब्धियाँ:
- 200 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित
- कई पेटेंट्स दर्ज
- उनका काम विशेष रूप से फार्मास्युटिकल, पेट्रोकेमिकल और प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए उपयोगी रहा
प्रमुख सम्मान और पुरस्कार
भारत सरकार द्वारा:
- पद्म भूषण (1987)
- पद्म विभूषण (2001) – भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान
अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार:
- शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (1969)
- रॉयल सोसाइटी, लंदन की फेलोशिप (FRS) – जो बहुत कम भारतीय वैज्ञानिकों को मिली है
- भाभा मेडल, जी.डी. बिरला पुरस्कार, और व्ही.वी. भटनागर मेडल
शिक्षा में योगदान और नेतृत्व
प्रोफेसर शर्मा एक ऐसे शिक्षक थे जिन्होंने न केवल पढ़ाया बल्कि शोध और नवाचार की भावना को भी छात्रों में भर दिया।
उनके प्रमुख योगदान:
- ICT में R&D संस्कृति को सशक्त किया
- इंडस्ट्री और एकेडेमिया के बीच पुल की भूमिका निभाई
- सैकड़ों छात्रों को पीएच.डी. मार्गदर्शन प्रदान किया
- उनके कई छात्र आज प्रसिद्ध वैज्ञानिक, प्रोफेसर और उद्योगपति हैं
निजी जीवन
- प्रोफेसर शर्मा बेहद सादगीपूर्ण जीवन जीते थे।
- उन्हें शोहरत की बजाय ज्ञान और शिक्षा के प्रसार में रुचि थी।
- वे अक्सर कहते थे: “एक शिक्षक का सबसे बड़ा पुरस्कार उसका शिष्य होता है।”
विरासत और प्रेरणा
प्रो. एम. एम. शर्मा का जीवन इस बात का उदाहरण है कि एक शिक्षक और वैज्ञानिक मिलकर एक राष्ट्र की नींव को मजबूत कैसे कर सकते हैं।
- उन्होंने जो मूल्य और सोच अगली पीढ़ियों को दी, वह आज भी ICT और उनके छात्रों के कार्यों में झलकती है।
- उनका प्रभाव न केवल विज्ञान तक सीमित रहा, बल्कि उद्योग जगत, विशेषकर मुकेश अंबानी जैसे नेताओं में भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
निष्कर्ष
प्रोफेसर एमएम शर्मा केवल एक वैज्ञानिक नहीं, बल्कि एक संस्था थे। उन्होंने अपने शिक्षण, शोध और नेतृत्व से भारत के वैज्ञानिक और औद्योगिक भविष्य को दिशा दी। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा शिक्षक वह है जो दूसरों की सफलता में अपनी उपलब्धि देखता है।
Also Read: मुकेश अंबानी ने ICT मुंबई को दिया ₹151 करोड़ का दान | गुरु दक्षिणा का अनूठा उदाहरण