आतंक के खिलाफ लड़ाई में उलझन या अवसर?
BY: Vijay Nandan
क्या आतंकवाद को समर्थन देने वाला देश ही अब उस पर नजर रखेगा?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने हाल ही में पाकिस्तान को तालिबान प्रतिबंध समिति (1988 समिति) का अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह वही समिति है जो अफगानिस्तान की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा माने जाने वाले व्यक्तियों, संगठनों और संस्थाओं पर आर्थिक प्रतिबंध, यात्रा प्रतिबंध और हथियारों की रोक जैसे सख्त कदम उठाती है।
समिति की भूमिका क्या है?
- अफगानिस्तान में शांति भंग करने वालों पर प्रतिबंध लगाना
- प्रतिबंधित लोगों और संस्थाओं की संपत्ति फ्रीज़ करना
- तालिबान से जुड़े आतंकी नेटवर्क पर वैश्विक निगरानी
इस समिति के दो अन्य उपाध्यक्ष गुयाना और रूस बनाए गए हैं।
पाकिस्तान को यह जिम्मेदारी क्यों मिली?
यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान और तालिबान के बीच रिश्तों को सामान्य बनाने की कोशिशें चल रही हैं। हाल ही में चीन की मध्यस्थता में पाकिस्तान और तालिबान के विदेश मंत्रियों की मुलाकात भी हुई थी। ऐसे में पाकिस्तान को इस समिति की कमान सौंपा जाना कई सवाल खड़े करता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर पाकिस्तान तालिबान पर कठोर कार्रवाई करता है तो इससे दोनों के रिश्ते और बिगड़ सकते हैं। वहीं, अगर वह नरमी बरतता है, तो उसकी अंतरराष्ट्रीय साख पर सवाल उठ सकते हैं।

पाकिस्तान को दूसरी जिम्मेदारी भी मिली
यही नहीं, पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी समिति (Counter-Terrorism Committee – CTC) का उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया गया है।
- इस समिति का प्रमुख उद्देश्य है:
दुनियाभर में आतंकवाद से निपटने के लिए सदस्य देशों को मार्गदर्शन देना और उनकी गतिविधियों की निगरानी करना। - हालांकि, यह समिति किसी देश को सीधे सजा देने या कार्रवाई करने का अधिकार नहीं रखती, बल्कि वह सलाह और समीक्षा करती है।
2025 में इस समिति की अध्यक्षता अल्जीरिया को मिली है। इसके अन्य उपाध्यक्ष फ्रांस, रूस और पाकिस्तान हैं।
क्या भारत को चिंता होनी चाहिए?
भारत लंबे समय से यह मुद्दा उठाता रहा है कि पाकिस्तान, UN द्वारा नामित आतंकवादियों को शरण देता है।
- ओसामा बिन लादेन, अल-कायदा का सरगना, पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपा मिला था और 2011 में अमेरिकी स्पेशल फोर्स द्वारा मारा गया था।
- ऐसे में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर भारत और कई अन्य देशों की आशंकाएं स्वाभाविक हैं।
गौरतलब है कि भारत ने 2022 में आतंकवाद रोधी समिति की अध्यक्षता की थी, जब वह सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य था।
UNSC में पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति
पाकिस्तान को 2025-26 के लिए UNSC के 15 सदस्यों में अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं:
- 5 स्थायी सदस्य: अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन
- 10 अस्थायी सदस्य: इनमें वर्तमान में पाकिस्तान, अल्जीरिया, डेनमार्क, ग्रीस, गुयाना, पनामा, दक्षिण कोरिया, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया और सोमालिया शामिल हैं।
क्या यह फैसला सही दिशा में है?
जब एक ऐसा देश जिसे बार-बार आतंकी पनाहगाह कहे जाने का आरोप झेलना पड़ा है, उसे आतंकवाद की निगरानी करने वाली दो बड़ी जिम्मेदारियां मिलती हैं, तो सवाल उठना लाजमी है।
- क्या यह वैश्विक राजनीति का हिस्सा है?
- या फिर पाकिस्तान के लिए खुद को साबित करने का आखिरी मौका?
अगले कुछ साल तय करेंगे कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सहयोगी बनता है या फिर एक बार फिर संदेह के घेरे में आ जाता है।