लेखक: विजय नंदन
मध्य प्रदेश की ज़मीन पर मूंग की फसल तैयार खड़ी है। किसान उम्मीद लगाए बैठे थे कि सरकार समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी करेगी, जिससे उनके घर के हालात कुछ सुधर सकें। लेकिन इस बार सरकार ने कदम पीछे खींच लिए हैं। तर्क दिया गया है कि मूंग की खेती में जिन खरपतवार नाशकों (पेस्टीसाइड्स) का इस्तेमाल हो रहा है, वो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
अब सवाल ये है कि क्या सरकार को ये चिंता पहली बार हुई है? क्या इससे पहले मूंग की खेती में कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता था? और अगर होता था, तो पहले क्यों खरीदी होती रही?
सरकार का कहना है कि वो जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहती है — ये एक स्वागतयोग्य सोच है — लेकिन बगैर वैकल्पिक व्यवस्था के किसानों को खुले बाजार के भरोसे छोड़ देना क्या उचित है? जहां व्यापारी MSP से आधे दामों में फसल खरीद रहे हैं, वहां किसान आखिर जाएं तो जाएं कहां?

नरसिंहपुर से उठती पुकार: घुटनों के बल किसान
नरसिंहपुर सहित कई जिलों में किसानों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू किया है — न नारे, न गुस्सा, न उग्रता। बस घुटनों के बल बैठकर, हाथ जोड़कर, आंखों में उम्मीद और मायूसी लिए… एक मौन अपील कर रहे हैं। ये प्रदर्शन नहीं, एक पुकार है — सरकार से, सिस्टम से, समाज से।
किसानों का कहना है कि मूंग की खेती में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है। ये पिछले कई वर्षों से होता रहा है। लेकिन सरकार को इस साल ही ये चिंता क्यों सताने लगी?
कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने साफ तौर पर कह दिया है कि इस साल MSP पर मूंग की खरीदी नहीं होगी। वहीं मुख्यमंत्री ने भी अब तक कोई सकारात्मक घोषणा नहीं की है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर मूंग उत्पादक किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले किसानों को मूंग की खेती के लिए प्रेरित किया, लेकिन अब जब फसल तैयार है, तो सरकार उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने को तैयार नहीं है। कमलनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा कि प्रदेश की भाजपा सरकार मूंग के किसानों के साथ खुला धोखा कर रही है।
मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी में देरी के विरोध में किसानों ने अर्धनग्न हालत में प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं वे घुटनों के बल चलते हुए एसडीएम को ज्ञापन देने पहुंचे।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) June 4, 2025
मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा, नर्मदापुरम, सिवनी और बैतूल समेत लगभग सभी जिलों में सरकार… pic.twitter.com/NMxh3m04IJ
दोगुनी मार झेल रहे हैं किसान
इस बार किसान सिर्फ सरकारी निर्णय से ही नहीं, मौसम की मार से भी परेशान हैं। कई जगहों पर बारिश ने फसल को बर्बाद कर दिया। कुछ किसान मूंग की फसल घर तक तो ले आए, लेकिन अब खरीदार नहीं मिल रहे। खुले बाजार में व्यापारी केवल 4000 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल मूंग खरीदने को तैयार हैं, जबकि MSP है 8,768 रुपये प्रति क्विंटल।
किसान बोले- मेहनत का दाम चाहिए
किसानों की बाइट्स से झलकी पीड़ा:
- “हमने तो सोचा था सरकार खरीदी करेगी, बच्चों की फीस भर पाएंगे…”
- “अगर सरकार खरीदी नहीं करेगी, तो हम मूंग का क्या करें?”
- “सालों से यही दवाएं छिड़कते आ रहे हैं, अब सरकार को क्या हो गया?”
किसान संघ, किसान मोर्चा भी नाराज
मध्य प्रदेश किसान संघ ने सरकार से पुनर्विचार की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक कोई वैकल्पिक नीति तैयार न हो, तब तक MSP पर खरीदी जारी रखनी चाहिए, ताकि किसान आर्थिक रूप से टूट न जाएं।
क्या सरकार बदलेगी फैसला?
सवाल अब सरकार के दरवाजे पर है — क्या किसानों की यह मौन पुकार सत्ता के गलियारों तक पहुंचेगी? क्या MSP पर मूंग खरीदी फिर से शुरू होगी? या फिर किसान हर बार की तरह इस बार भी तंत्र की चुप्पी का शिकार हो जाएंगे? फ़िलहाल किसान इंतजार में हैं… कि कोई सुने, कोई समझे और कोई बोले — उनके पक्ष में।
मूंग उत्पादन की स्थिति — 2025
- 16 जिलों में मूंग की बुवाई
- कुल क्षेत्र: 10.21 लाख हेक्टेयर
- अनुमानित उत्पादन: 20 लाख टन
🟢 मुख्य मूंग उत्पादक जिले:
नर्मदापुरम, हरदा, सीहोर, नरसिंहपुर, बैतूल, जबलपुर, विदिशा, देवास, रायसेन
🔵 2025-26 MSP ₹8,768 प्रति क्विंटल
🔵 बाजार भाव- ₹3500 से ₹6000 प्रति क्विंटल