BY: Yoganand Shrivastva
इंदौर (मध्य प्रदेश): अब तक आपने जेल में कैदियों द्वारा चक्की चलाने और आटा पीसने की कहावत जरूर सुनी होगी, लेकिन अब यह कहावत बदलने जा रही है। मध्य प्रदेश की इंदौर सेंट्रल जेल ने एक नई और अनोखी पहल की शुरुआत की है, जिसके तहत अब कैदी मशीनों के ज़रिए मसाले पीसेंगे और ये मसाले बाजार में आम लोगों के लिए भी उपलब्ध होंगे।
मसाला पीसने का काम शुरू
इंदौर के केंद्रीय कारागार में ‘मां अहिल्या मसाला उद्योग’ के नाम से एक यूनिट की शुरुआत की गई है, जिसमें कैदी अब धनिया, हल्दी, कश्मीरी लाल मिर्च और गरम मसाला जैसी चीज़ें पीसेंगे। मसालों को अत्याधुनिक ऑटोमैटिक मशीनों की मदद से तैयार किया जाएगा, जिससे गुणवत्ता बनी रहे और काम दक्षता से हो।
इस योजना की जानकारी केंद्रीय जेल की अधीक्षक अल्का सोनकर ने दी। उन्होंने बताया कि इस पहल का उद्देश्य बंदियों को स्वरोजगार के लिए तैयार करना और उन्हें समाज के प्रति योगदान देने लायक बनाना है।
योजना का उद्देश्य क्या है?
इस मसाला इकाई का उद्घाटन जेल और सुधारात्मक सेवाएं विभाग के महानिदेशक गोविंद प्रताप सिंह ने गुरु पूर्णिमा के दिन किया। उन्होंने कहा,
“हम कैदियों को ऐसे उद्योगों का प्रशिक्षण देना चाहते हैं, जिन्हें जेल से बाहर निकलने के बाद भी वो कम लागत में शुरू कर सकें। ये पहल उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में ले जाएगी।”
कैसे खरीद सकेंगे आम लोग ये मसाले?
अधिकारियों के अनुसार, पीसे गए मसालों का उपयोग इंदौर सहित आसपास के जिलों की जेलों में तो होगा ही, साथ ही यह मसाले आम जनता के लिए भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इन मसालों को इंदौर जेल के बाहर मौजूद दुकान से खरीदा जा सकता है। पैकिंग उपलब्धता:
- 250 ग्राम
- 500 ग्राम
- 1 किलोग्राम
यह मसाले गुणवत्ता और शुद्धता में बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड उत्पादों से किसी भी तरह कम नहीं होंगे।
फायदे – कैदी, प्रशासन और समाज
- कैदियों को व्यावसायिक कौशल मिलेगा
- रिहाई के बाद रोजगार का विकल्प उपलब्ध होगा
- समाज को शुद्ध और सस्ते मसाले मिलेंगे
- जेलों के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक कदम
मध्य प्रदेश के इंदौर जेल की यह पहल बताती है कि अगर सुधार की नीयत हो, तो जेलें सिर्फ सजा भुगतने की जगह नहीं, बल्कि जीवन सुधारने का प्लेटफॉर्म भी बन सकती हैं। आने वाले समय में अन्य जेलों में भी ऐसी योजनाएं लागू की जाएं, तो कैदियों के पुनर्वास की राह आसान हो सकती है।