अगर आप वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं, तो जान लीजिए – इस बार के फॉर्म्स में कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। ये बदलाव टैक्स नियमों को ज्यादा पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए किए गए हैं, और इनका असर आपकी फाइलिंग प्रक्रिया पर पड़ सकता है।
✅ 1. ITR-1 और ITR-4 का दायरा बढ़ा – छोटे निवेशकों को राहत
अब जिन लोगों की लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) ₹1.25 लाख से कम है, वे भी ITR-1 या ITR-4 का उपयोग कर सकते हैं। पहले छोटे निवेशकों को जटिल फॉर्म्स भरने पड़ते थे, लेकिन इस नए नियम से उन्हें अब ज्यादा सरल विकल्प मिलेगा।
फायदे:
- Mutual funds और शेयरों से कम लाभ कमाने वालों के लिए सरल फॉर्म
- प्रोसेसिंग में तेजी और कम त्रुटियां
✅ 2. TDS सेक्शन की जानकारी अब अनिवार्य
अब आपको ITR फॉर्म 1, 2, 3 और 5 में यह स्पष्ट रूप से बताना होगा कि आपकी आय पर टैक्स किस TDS सेक्शन के अंतर्गत कटा है।
उदाहरण के लिए:
- सैलरी से TDS: सेक्शन 192
- बैंक ब्याज: सेक्शन 194A
- मकान किराया: सेक्शन 194I
🔍 यह बदलाव टैक्स डिपार्टमेंट को टैक्स कटौती की बेहतर ट्रैकिंग में मदद करेगा और गलतियां कम होंगी।
✅ 3. कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में बदलाव – 23 जुलाई 2024 से लागू
बजट 2024 में घोषित नई कैपिटल गेन टैक्स पॉलिसी 23 जुलाई 2024 से प्रभावी होगी। इसका मतलब:
- शेयर, म्यूचुअल फंड या प्रॉपर्टी बेचते समय सेल डेट अहम होगी।
- टैक्स की गणना उस डेट के अनुसार की जाएगी, जिससे आपकी देनदारी बदल सकती है।
📌 प्रभाव: एसेट सेल करने की योजना बना रहे लोगों को टाइमिंग का खास ध्यान रखना होगा।
✅ 4. एसेट और लायबिलिटी डिक्लेयरेशन में छूट – अब ₹1 करोड़ से ऊपर पर लागू
अब तक जिनकी सालाना आय ₹50 लाख से ज्यादा होती थी, उन्हें अपनी संपत्तियों और देनदारियों की जानकारी देनी होती थी।
📈 अब बदलाव:
केवल उन्हीं करदाताओं को यह विवरण देना होगा जिनकी ग्रॉस इनकम ₹1 करोड़ से अधिक है।
➡️ इससे मध्यम वर्ग के टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी।
✅ 5. शेयर बायबैक की राशि अब डिविडेंड मानी जाएगी
अगर कोई लिस्टेड कंपनी 1 अक्टूबर 2024 या उसके बाद आपके शेयर वापस खरीदती है, तो आपको मिलने वाली राशि को अब डिविडेंड माना जाएगा।
क्या करें:
- यह आय ITR-2 या ITR-3 में दिखानी होगी।
- इसपर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लग सकता है।
💡 टिप: अपने फॉर्म में सही कैटेगरी और डिविडेंड आय का विवरण जोड़ना न भूलें।
📌 क्यों जरूरी हैं ये बदलाव जानना?
- आपकी टैक्स फाइलिंग की स्पीड, सटीकता, और रिफंड प्रोसेस इन्हीं बदलावों पर निर्भर हो सकती है।
- गलत या अधूरी जानकारी देने से रिटर्न रिजेक्ट भी हो सकता है या नोटिस आ सकता है।
📝 महत्वपूर्ण बातें याद रखें
| बदलाव | प्रभाव |
|---|---|
| ITR-1/4 में LTCG की नई सीमा | ₹1.25 लाख तक के गेन पर सरल फॉर्म |
| TDS सेक्शन अनिवार्य | सभी फॉर्म्स में सेक्शन का जिक्र |
| नई कैपिटल गेन नियम | 23 जुलाई 2024 से लागू |
| एसेट डिस्क्लोजर लिमिट | अब ₹1 करोड़ से ऊपर वालों के लिए |
| बायबैक राशि = डिविडेंड | ITR-2/3 में दिखाना जरूरी |
📢 यूजर्स के लिए सुझाव: क्या करें आगे?
- ITR फाइल करने से पहले नई गाइडलाइन्स अच्छे से पढ़ें।
- ITR फॉर्म चयन सोच-समझकर करें – नई छूटों का लाभ लें।
- यदि आपके पास कैपिटल गेन, डिविडेंड या हाई नेट वर्थ एसेट्स हैं, तो एक टैक्स कंसल्टेंट से सलाह जरूर लें।
🔎 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q. क्या अब ₹1.25 लाख तक LTCG वालों को ITR-1 फाइल करने की छूट है?
हाँ, अगर आपकी LTCG ₹1.25 लाख से कम है, तो आप ITR-1 या ITR-4 का इस्तेमाल कर सकते हैं।
Q. TDS सेक्शन भरना जरूरी क्यों किया गया?
इससे टैक्स डिपार्टमेंट सही तरीके से पता लगा सकेगा कि किस आय पर कितना TDS कटा है और किस सेक्शन के तहत।
Q. क्या कैपिटल गेन टैक्स नए नियम पहले लागू होंगे?
नहीं, नए नियम 23 जुलाई 2024 से लागू होंगे।
🔚 निष्कर्ष: छोटे बदलाव, बड़ा असर
हालांकि ये सभी बदलाव छोटे लग सकते हैं, लेकिन इनका असर आपकी टैक्स प्रोसेसिंग और रिटर्न के रिजल्ट पर बड़ा हो सकता है। इसलिए समय रहते तैयारी करें और सही ITR फॉर्म चुनकर, नई जानकारी सही से भरें।





