इज़राइल इस समय एक गहरे सियासी संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की गठबंधन सरकार खतरे में है। वजह है गठबंधन में शामिल अति-रूढ़िवादी पार्टियों की नाराजगी, जो धार्मिक छात्रों को सैन्य सेवा से छूट देने वाले कानून को लेकर सरकार पर दबाव बना रही हैं।
हमास के साथ जारी युद्ध के बीच यह मुद्दा बेहद संवेदनशील बन गया है।
विपक्ष ने संसद भंग करने का प्रस्ताव पेश किया
बुधवार को इज़राइली विपक्ष ने संसद (कनेसट) को भंग करने का विधेयक पेश कर दिया। यह कदम सीधे तौर पर नेतन्याहू की सरकार को गिराने की दिशा में उठाया गया है।
गठबंधन की अति-रूढ़िवादी पार्टियां स्पष्ट कर चुकी हैं कि यदि धार्मिक छात्रों को सैन्य सेवा से छूट देने वाला कानून पारित नहीं होता, तो वे संसद भंग करने के पक्ष में वोट करेंगी।
क्या सरकार तुरंत गिर जाएगी?
हालांकि, यह जरूरी नहीं कि प्रस्ताव पारित होते ही सरकार गिर जाए। इज़राइल की संसदीय प्रक्रिया के अनुसार:
- संसद भंग करने वाले विधेयक को चार चरणों में वोटिंग से गुजरना होता है।
- वर्तमान में सरकार इस प्रस्ताव को एक सप्ताह के लिए टालने की कोशिश कर रही है।
- सरकार गिरने में कई सप्ताह या महीने भी लग सकते हैं।
सरकारी सूत्रों को उम्मीद है कि अंतिम समय में कोई समझौता हो सकता है।
क्यों नाराज़ हैं अति-रूढ़िवादी पार्टियां?
इस सियासी संकट की जड़ है धार्मिक छात्रों को लेकर वर्षों पुराना विवाद:
- इज़राइली सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में धार्मिक छात्रों की सैन्य छूट को असंवैधानिक करार दिया था।
- इसके बाद से अब तक कोई भी सरकार नया कानून नहीं ला सकी।
- यूनाइटेड टोरा जूडाइज्म और शास पार्टियां मांग कर रही हैं कि इस पर तुरंत कानून बनाया जाए।
पिछले सप्ताह यूनाइटेड टोरा जूडाइज्म ने चेतावनी दी थी कि समाधान नहीं निकला तो वह संसद भंग करने के पक्ष में वोट करेगी।
वहीं ‘शास’ पार्टी के प्रवक्ता आशेर मेदिना ने कहा:
“हमें दक्षिणपंथी सरकार को गिराने में खुशी नहीं है, लेकिन अब हम एक ब्रेकिंग पॉइंट पर आ गए हैं।”
सरकार ने प्रक्रिया को धीमा करने की रणनीति अपनाई
प्रस्ताव को रोकने या देरी करने के लिए सरकार ने:
- बुधवार की संसद कार्यसूची में दर्जनों नए विधेयक जोड़ दिए।
- नेतन्याहू की लिकुड पार्टी उस समिति को नियंत्रित करती है, जो तय करती है कि कोई विधेयक कितनी तेजी से आगे बढ़ेगा।
यह सब इसलिए ताकि समय खींचा जा सके और बीच में समझौते की गुंजाइश बनाई जा सके।
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आगे क्या हो सकता है?
आने वाले कुछ दिन इज़राइल की राजनीति के लिए निर्णायक होंगे। संभावनाएं हैं कि:
- सरकार को बचाने के लिए बैकडोर डील्स हो सकती हैं।
- अगर समझौता नहीं हुआ तो देश में फिर से चुनाव हो सकते हैं।