BY: Yoganand Shrivastva
बेंगलुरु, कर्नाटक की सियासत एक बार फिर उथल-पुथल के दौर में प्रवेश करती दिख रही है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बार-बार पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का भरोसा जता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि राज्य में अक्टूबर या नवंबर में मुख्यमंत्री बदला जाना तय है।
क्या कहा भाजपा नेता आर. अशोक ने?
भाजपा नेता आर. अशोक ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार के भीतर भारी असंतोष है और पार्टी के ज्यादातर विधायक मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं। उन्होंने कहा,
“कांग्रेस के हर विधायक की आंखें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिकी हैं। ऐसे में यह तय है कि अक्टूबर या नवंबर तक कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन होगा।”
आर. अशोक ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी अंदर से बंटी हुई है और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार खुले तौर पर सत्ता हथियाने के संकेत दे रहे हैं।
डीके शिवकुमार को सीधी चुनौती
आर. अशोक ने डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को चुनौती देते हुए कहा,
“अगर डीके शिवकुमार ईमानदारी से सिद्धारमैया का समर्थन करते हैं, तो वे सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करें कि सिद्धारमैया 2028 तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। अगर वे ऐसा करते हैं, तो हम इसे कांग्रेस की ‘छठी गारंटी’ मान लेंगे और कोई सवाल नहीं उठाएंगे।”
उनका इशारा इस ओर था कि कांग्रेस सरकार द्वारा घोषित पांच गारंटियों के बाद अब नेतृत्व स्थायित्व भी एक नई ‘गारंटी’ बन जाए।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का जवाब
सीएम सिद्धारमैया ने भी इन तमाम अटकलों को खारिज करते हुए दो टूक कहा है कि वे अपने 5 साल के कार्यकाल को पूरा करेंगे। बुधवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा,
“हां, मैं पांच साल तक मुख्यमंत्री बना रहूंगा। इसमें किसी को शक क्यों होना चाहिए?”
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह एकजुट है और सरकार मजबूती के साथ अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर अंदरूनी घमासान?
हालांकि, सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के भीतर सत्ता को लेकर मतभेद पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं। 2023 विधानसभा चुनाव के बाद सीएम पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच खींचतान देखी गई थी। पार्टी हाईकमान के हस्तक्षेप से सिद्धारमैया को सीएम बनाया गया, जबकि शिवकुमार को डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष की दोहरी जिम्मेदारी दी गई।
अब एक बार फिर यह चर्चा गर्म है कि डीके शिवकुमार अपने समर्थकों के जरिए धीरे-धीरे दबाव बना रहे हैं।
भविष्य की राजनीति का संकेत?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा द्वारा यह मुद्दा बार-बार उठाना एक रणनीतिक प्रयास हो सकता है। इससे कांग्रेस की अंदरूनी कलह को उभारकर आगामी लोकसभा चुनाव 2026 और स्थानीय निकाय चुनावों में राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जा सकती है।