Mohit Jain
भारत ने अमेरिकी विरोध के बावजूद रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा है। अक्टूबर में भारत ने रूस से लगभग 2.5 बिलियन डॉलर (करीब ₹22.17 हजार करोड़) मूल्य का तेल आयात किया, जिससे वह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रूसी तेल खरीदार बन गया। CREA की रिपोर्ट के अनुसार, चीन पहले स्थान पर रहा, जिसने 3.7 बिलियन डॉलर का आयात किया।

कुल फॉसिल फ्यूल आयात और अमेरिकी प्रतिबंध का असर
अक्टूबर तक भारत का रूस से कुल फॉसिल फ्यूल आयात 3.1 बिलियन डॉलर (करीब ₹27.49 हजार करोड़) पहुंच गया। अमेरिका द्वारा रूस के दो बड़े तेल निर्यातकों पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण दिसंबर के आंकड़ों में असर दिखाई दे सकता है।
कोयला और ऑयल प्रोडक्ट्स का आयात
चीन ने रूस से कोयला का सबसे अधिक आयात किया, जबकि भारत ने अक्टूबर में 351 मिलियन डॉलर मूल्य का कोयला और 222 मिलियन डॉलर मूल्य के तेल उत्पाद खरीदे। रूसी ऑयल प्रोडक्ट्स का सबसे बड़ा खरीदार तुर्की रहा, जबकि यूरोपीय संघ ने रूसी गैस का सबसे ज्यादा आयात किया।

दिसंबर के लिए कंपनियों की प्रतिक्रिया
भारत की पांच प्रमुख रिफाइनर कंपनियों – रिलायंस, BPCL, HPCL, मंगलौर रिफाइनरी और एचपीसीएल-मित्तल – ने दिसंबर के लिए रूस से कोई नया ऑर्डर नहीं दिया। इंडियन ऑयल और नयारा एनर्जी ही दिसंबर में रूस से तेल खरीद रही हैं। IOC गैर-प्रतिबंधित सप्लायर्स से खरीद कर रही है, जबकि नयारा पूरी तरह रूसी सप्लाई पर निर्भर है।
वैकल्पिक सप्लायर्स की तलाश

रूस इस साल भारत की तेल आपूर्ति का लगभग 36% हिस्सा रहा है, लेकिन अब देश की रिफाइनरियां अमेरिका, सऊदी अरामको और ADNOC जैसे वैकल्पिक सप्लायर्स से तेल खरीद रही हैं।
अमेरिकी टैरिफ और पैनल्टी
अमेरिकी प्रशासन ने भारत पर कुल 50% टैरिफ और पैनल्टी लगाई है, ताकि रूस की यूक्रेन युद्ध में फंडिंग रोकने के प्रयास में दबाव बनाया जा सके।





