रायपुर/धरसींवा। छत्तीसगढ़ के कुरूद-सिलयारी ग्राम पंचायत, जो धरसींवा ब्लॉक मुख्यालय के पास स्थित है, आज एक गंभीर सामाजिक संकट का सामना कर रहा है। यहाँ खुलेआम गांजा, अवैध शराब और सट्टा कारोबार चल रहा है, जिससे गांव की दस हजार की आबादी प्रभावित हो रही है। कभी शांत और सुखद माना जाने वाला यह गांव अब नशे और जुए की गिरफ्त में है, जिसका सबसे बुरा असर युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है।
खुला नशे का बाजार: प्रशासन की निष्क्रियता चिंता का विषय
कुरूद-सिलयारी में अवैध गांजा और शराब की बिक्री पुलिस चौकी से मात्र 200 मीटर की दूरी पर हो रही है। शाम होते ही नशेड़ी और जुआरी गांव की गलियों में जमा हो जाते हैं, जिससे आम लोगों, खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
ग्रामीणों ने बार-बार प्रशासन को सूचना देने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं देखा। पुलिस की निष्क्रियता और प्रशासन की उदासीनता ने इस समस्या को और गहरा कर दिया है।
पंचायत प्रतिनिधि भी हैं असहाय
गांव के पंचायत प्रतिनिधि भी इस नशे और सट्टे के कारोबार को रोकने में असफल रहे हैं। उनका प्रयास नाकाफी साबित हुआ है और ऐसा लग रहा है कि इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की इच्छाशक्ति कमजोर पड़ रही है।
युवाओं का भविष्य दांव पर: समाज पर पड़ रहा गंभीर प्रभाव
इस अवैध कारोबार का सबसे खतरनाक प्रभाव गांव के युवाओं पर पड़ रहा है। नशे की लत और सट्टे के जाल में फंसे युवा न केवल अपने भविष्य को जोखिम में डाल रहे हैं, बल्कि पूरे समाज की नींव भी कमजोर हो रही है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो कुरूद-सिलयारी सामाजिक विघटन की ओर बढ़ सकता है।
गांव की वर्तमान स्थिति: एक नजर
- आबादी: लगभग 10,000 लोग
- मौजूद सुविधाएं: हाई स्कूल, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, पुलिस चौकी
- समस्या: खुला गांजा और अवैध शराब का कारोबार, सट्टा
- प्रशासन: निष्क्रिय, शिकायतों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं
- सामाजिक प्रभाव: युवाओं का नशे और सट्टे की गिरफ्त में आना, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा खतरे में
क्या होना चाहिए: सुझाव और समाधान
- प्रशासनिक कार्रवाई तेज करें: पुलिस और प्रशासन को अवैध कारोबार पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
- सामाजिक जागरूकता बढ़ाएं: गांव में नशा और सट्टे के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करना जरूरी है।
- युवा कार्यक्रम चलाएं: युवाओं को नशे से दूर रखने और उन्हें सही मार्गदर्शन देने के लिए विशेष कार्यक्रम शुरू किए जाएं।
- पंचायत की सक्रिय भूमिका: ग्राम पंचायत को इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
निष्कर्ष
कुरूद-सिलयारी जैसे गांवों में नशा और सट्टे का बढ़ता कारोबार केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि एक सामाजिक चुनौती है। प्रशासन की सक्रियता और समाज की जागरूकता के बिना इस समस्या को हल करना मुश्किल है। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो युवा पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय हो सकता है, जिससे पूरे समाज पर गहरा असर पड़ेगा।





