BY: VIJAY NANDAN
भोपाल: देवी दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन जुलूस के दौरान तेज़ आवाज़ में डीजे बजाने के आरोप में पुलिस ने 18 थानों में 30 मामले दर्ज किए हैं। भोपाल पुलिस कमिश्नर हरि नारायण चारी मिश्र ने कहा कि दुर्गा पांडाल और दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के जुलूस में डीजे बजाने से संबंधित पिछली सभी बैठकों में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि ध्वनि प्रदूषण नियमों की सभी धाराओं का पालन करने के साथ-साथ डीजे के इस्तेमाल पर सभी प्रतिबंधों का ठीक से पालन किया जाए। राजधानी में इसका ज़्यादातर लोगों ने पालन किया है, लेकिन कुछ लोगों ने इसका उल्लंघन भी किया है। लगभग 30 डीजे वालों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है और उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। उनके डीजे भी ज़ब्त किए जाएँगे और मोटर वाहन अधिनियम की धाराएँ भी लगाई जाएँगी।
#WATCH | Madhya Pradesh: Police files 30 cases in 18 stations for loud DJ music during the immersion procession of Goddess Durga idols in Bhopal.
— ANI (@ANI) October 7, 2025
Bhopal Police Commissioner, Hari Narayan Chari Mishra, says, "In all the previous meetings related to DJs…it was clearly… pic.twitter.com/Orvk9ZWo5k
बता दें कि 2024 दुर्गा उत्सव के दौरौन डीजे की तेज आवाज की वजह से भोपाल में एक बच्चे की जान जाने की बात भी सामने आई थी। मृतक के पिता ने ऐसा दावा किया था। पिछले साल 91 डीजे संचालकों पर नवरात्रि के दौरान सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन नहीं करने पर मामले दर्ज कर कार्रवाई की गई थी। त्योहार के दौरान पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ सख्त निगरानी की जाती है एवं डीजे की फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी कराई जाती है। इसके बावजूद बार-बार समझाइश देने के बाद भी डीजे संचालक नियमों का उल्लंघन करते पाए जाते हैं।

ध्वनि प्रदूषण से संबंधित ये हैं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
- रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक डीजे या लाउडस्पीकर पर पूर्ण प्रतिबंध
किसी भी सार्वजनिक स्थल, मंदिर, पंडाल, या जुलूस में रात 10 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले तेज आवाज़ में डीजे या लाउडस्पीकर बजाना गैरकानूनी है।
केवल विशेष अवसरों पर (जैसे गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस) ही राज्य सरकार की अनुमति से छूट दी जा सकती है। - अधिकतम ध्वनि सीमा तय
आवासीय क्षेत्र में: 55 डेसीबल (दिन में) और 45 डेसीबल (रात में)
वाणिज्यिक क्षेत्र में: 65 डेसीबल (दिन में) और 55 डेसीबल (रात में)
शांत क्षेत्र (हॉस्पिटल, स्कूल, कोर्ट आदि): 50 डेसीबल (दिन में) और 40 डेसीबल (रात में)
डीजे सिस्टम आमतौर पर 100 डेसीबल से ज्यादा आवाज़ पैदा करते हैं, जो कानूनी सीमा से बहुत ऊपर है। - अनुमति लेना अनिवार्य है
डीजे या लाउडस्पीकर चलाने के लिए स्थानीय प्रशासन / पुलिस की लिखित अनुमति जरूरी है।
बिना अनुमति डीजे बजाने पर मशीन जब्त की जा सकती है और जुर्माना या जेल की सजा भी हो सकती है।
- धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजनों में भी नियम लागू
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि धार्मिक स्वतंत्रता का मतलब ध्वनि प्रदूषण करने की आज़ादी नहीं है।
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या पंडाल, सभी जगहों पर ये नियम समान रूप से लागू होते हैं। - वाहन और मोबाइल डीजे पर भी रोक
वाहन में लगाए गए बड़े स्पीकर या मोबाइल डीजे सिस्टम को भी मोटर वाहन अधिनियम और पर्यावरण कानूनों के तहत प्रतिबंधित किया गया है।
ऐसे वाहन पकड़े जाने पर RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) निलंबित हो सकता है। - उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई
पहली बार उल्लंघन पर जुर्माना ₹10,000 तक,
बार-बार उल्लंघन करने पर जेल की सजा (6 महीने तक) और
उपकरण जब्त या नष्ट करने का अधिकार पुलिस के पास है।





