BY: Yoganand Shrivastva
भारत और अमेरिका के संबंधों पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बदले हुए रुख पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सावधानी बरतने की सलाह दी है। उनका कहना है कि भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के सकारात्मक संदेश का तुरंत जवाब दिया हो, लेकिन दोनों देशों के बीच भरोसा बहाल करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना होगा।
भुवनेश्वर में मीडिया से बातचीत में थरूर ने कहा,
“प्रधानमंत्री ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और विदेश मंत्री ने भी भारत-अमेरिका साझेदारी की अहमियत को दोहराया। लेकिन यह भी सच है कि हालिया तनावों से भारतीयों को नुकसान और अपमान झेलना पड़ा है, जिसे इतनी जल्दी भुलाया नहीं जा सकता। राजनयिक स्तर पर अभी काफी सुधार की जरूरत है।”
ट्रंप के बयानों पर थरूर का रुख
थरूर ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का स्वभाव अस्थिर माना जाता है और उनकी कुछ टिप्पणियों से भारत में असंतोष पैदा हुआ।
“50% टैरिफ का मुद्दा हो या राष्ट्रपति के अन्य बयानों से हुआ अपमान, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लोगों को इसके असर से उबरने में समय लगेगा,” उन्होंने कहा।
ट्रंप का सकारात्मक संदेश
हाल ही में राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत-अमेरिका रिश्तों को “बहुत खास” करार दिया था और प्रधानमंत्री मोदी के साथ दोस्ताना संबंधों पर जोर दिया था। इस पर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“मैं राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और भारत-अमेरिका संबंधों के प्रति उनके सकारात्मक दृष्टिकोण की सराहना करता हूं। दोनों देशों के बीच मजबूत और प्रगतिशील वैश्विक साझेदारी कायम है।”
रूस-भारत व्यापार पर अमेरिका की टिप्पणी
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक द्वारा रूस के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों पर सवाल उठाने पर थरूर ने कहा कि भारत किसी से माफी नहीं मांगेगा।
“रूस से तेल खरीदने का आग्रह पहले अमेरिका ने ही किया था ताकि वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें स्थिर रह सकें। चीन और तुर्की हमसे ज्यादा रूसी तेल खरीद रहे हैं। यूरोप भी रूस से अन्य वस्तुएं ले रहा है। फिर भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?”
थरूर ने कहा कि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और अपने फैसले खुद ले सकता है।
“यह गलत धारणा है कि भारत अकेले रूस की युद्ध-आर्थिक व्यवस्था को सहारा दे रहा है। अमेरिका को समझना होगा कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर चलता है।”
कूटनीतिक समीकरण
थरूर का मानना है कि अमेरिका और भारत के बीच संबंध मजबूत बने रहेंगे, लेकिन हालिया विवादों को देखते हुए भरोसे को फिर से स्थापित करने के लिए समय और ठोस कूटनीतिक प्रयासों की जरूरत है।





